अनिंदिता: Difference between revisions
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<p> महापुराण सर्ग संख्या 62/श्लोक `मगध देशके राजा श्रीषेण की पत्नी थी (40)। आहार दान की अनुमोदना करने से भोग भूमिका बन्ध किया (348-350) अन्त में पुत्रों के पारस्परिक कलह से दुःखी हो विष पुष्प सूँघकर मर गयी (356)। यह शान्तिनाथ भगवान् के चक्रायुध नामा प्रथम गणधर का पूर्व का चौदहवाँ भव है। - देखें [[ चक्रायुध ]]।</p> | <p> <span class="GRef"> महापुराण </span>सर्ग संख्या 62/श्लोक `मगध देशके राजा श्रीषेण की पत्नी थी (40)। आहार दान की अनुमोदना करने से भोग भूमिका बन्ध किया (348-350) अन्त में पुत्रों के पारस्परिक कलह से दुःखी हो विष पुष्प सूँघकर मर गयी (356)। यह शान्तिनाथ भगवान् के चक्रायुध नामा प्रथम गणधर का पूर्व का चौदहवाँ भव है। - देखें [[ चक्रायुध ]]।</p> | ||
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Revision as of 21:37, 5 July 2020
महापुराण सर्ग संख्या 62/श्लोक `मगध देशके राजा श्रीषेण की पत्नी थी (40)। आहार दान की अनुमोदना करने से भोग भूमिका बन्ध किया (348-350) अन्त में पुत्रों के पारस्परिक कलह से दुःखी हो विष पुष्प सूँघकर मर गयी (356)। यह शान्तिनाथ भगवान् के चक्रायुध नामा प्रथम गणधर का पूर्व का चौदहवाँ भव है। - देखें चक्रायुध ।