अमितगति: Difference between revisions
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<p>1. माथुर संघकी गुर्वावली के अनुसार (देखें [[ इतिहास#7.11 | इतिहास - 7.11]]) आप देवसेनके शिष्य तथा नेमिषेणके गुरु थे। कृति-योगसार. समय-वि. 980/1020 (ई. 923-963)। (सुभाषित रत्नसंदोहकी प्रश्ति); ( परमात्मप्रकाश / प्रस्तावना 121 में A. N. Up.) ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/284)। 2. (सुभाषित रत्न संदीहकी प्रशस्ति)-माथुर संघकी गुर्वावलीके अनुसार आप अमितगति प्रथमके शिष्य माधवसेनके शिष्य थे। आप मुञ्जराजाके राज्यकालमें हुए थे। कृतियाँ-1. पंच संग्रह संस्कृत (वि. 1073); 2. जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति; 3. चन्द्रप्रज्ञप्ति; 4. सार्द्ध द्वय द्वीपप्रज्ञप्ति; 5. व्याख्याप्रज्ञप्ति; 6. धर्म परीक्षा; 7. सामायिक पाठ; 8. सुभाषित रत्नसंदोह; 9. भगवती आराधनाके संस्कृतश्लोक; 10. अमितगति श्रावकाचार। समय वि. 1040-1080 (ई. 983-1023)।</p> | == सिद्धांतकोष से == | ||
<p>1. माथुर संघकी गुर्वावली के अनुसार (देखें [[ इतिहास#7.11 | इतिहास - 7.11]]) आप देवसेनके शिष्य तथा नेमिषेणके गुरु थे। कृति-योगसार. समय-वि. 980/1020 (ई. 923-963)। (सुभाषित रत्नसंदोहकी प्रश्ति); ( परमात्मप्रकाश / प्रस्तावना 121 में A. N. Up.) ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/284)। 2. (सुभाषित रत्न संदीहकी प्रशस्ति)-माथुर संघकी गुर्वावलीके अनुसार आप अमितगति प्रथमके शिष्य माधवसेनके शिष्य थे। आप मुञ्जराजाके राज्यकालमें हुए थे। कृतियाँ-1. पंच संग्रह संस्कृत (वि. 1073); 2. जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति; 3. चन्द्रप्रज्ञप्ति; 4. सार्द्ध द्वय द्वीपप्रज्ञप्ति; 5. व्याख्याप्रज्ञप्ति; 6. धर्म परीक्षा; 7. सामायिक पाठ; 8. सुभाषित रत्नसंदोह; 9. भगवती आराधनाके संस्कृतश्लोक; 10. अमितगति श्रावकाचार। समय वि. 1040-1080 (ई. 983-1023)।</p> | |||
<p>( कार्तिकेयानुप्रेक्षा / प्रस्तावना 35/A.N.Up); (सुभाषित रत्न सन्दोह/प्र.पं.पन्नालाल); ( योगसार अमितगति| योगसार / प्रस्तावना 2 पं.गजाधरलाल); ( अमितगति श्रावकाचार / प्रस्तावना1/पं.गजाधरलाल); (जै./1/380-381); ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/384); (देखें [[ इतिहास#7.11 | इतिहास - 7.11]])।</p> | <p>( कार्तिकेयानुप्रेक्षा / प्रस्तावना 35/A.N.Up); (सुभाषित रत्न सन्दोह/प्र.पं.पन्नालाल); ( योगसार अमितगति| योगसार / प्रस्तावना 2 पं.गजाधरलाल); ( अमितगति श्रावकाचार / प्रस्तावना1/पं.गजाधरलाल); (जै./1/380-381); ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/384); (देखें [[ इतिहास#7.11 | इतिहास - 7.11]])।</p> | ||
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<p id="1"> (1) राजा वसुदेव और उसकी रानी गन्धर्वसेना का पुत्र, वायुवेग का अनुज तथा महेन्द्रगिरि का अग्रज । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.55 </span></p> | |||
<p id="2">(2) अरिंजय के साथी एक चारणमुनि । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 4.205 </span></p> | |||
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<p id="4">(4) मति, श्रुत और अवधि इन तीन ज्ञानों के धारक एक मुनि । गर्भिणी अंजना को उसका पूर्वभव आदि इन्हीं ने बताया था । ये आकाशगामी थे । <span class="GRef"> पद्मपुराण 17.139-140 </span></p> | |||
<p id="5">(5) विजयार्ध पर्वत की दक्षिण श्रेणी के शिव मन्दिर नगर के राजा महेन्द्रविक्रम का पुत्र । इस विद्याधर के धूमसिंह और गौरमुण्ड नाम के दो विद्याधर मित्र थे । हिरण्यरोम तापस की पुत्री सुकुमारिका से इसने विवाह किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21.22-28 </span>इसकी विजयसेना और मनोरमा नाम की दो स्त्रियां और थी । विजयसेना की पुत्री सिंहसेना तथा मनोरमा के पुत्र सिंहयश का और वराहग्रीव थे । बड़े पुत्र को राज्य देकर और छोटे पुत्र को युवराज बनाकर यह अपने पिता मुनि महेंद्रविक्रम के पास दीक्षित हो गया । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21.118, 122 </span></p> | |||
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Revision as of 21:37, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
1. माथुर संघकी गुर्वावली के अनुसार (देखें इतिहास - 7.11) आप देवसेनके शिष्य तथा नेमिषेणके गुरु थे। कृति-योगसार. समय-वि. 980/1020 (ई. 923-963)। (सुभाषित रत्नसंदोहकी प्रश्ति); ( परमात्मप्रकाश / प्रस्तावना 121 में A. N. Up.) ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/284)। 2. (सुभाषित रत्न संदीहकी प्रशस्ति)-माथुर संघकी गुर्वावलीके अनुसार आप अमितगति प्रथमके शिष्य माधवसेनके शिष्य थे। आप मुञ्जराजाके राज्यकालमें हुए थे। कृतियाँ-1. पंच संग्रह संस्कृत (वि. 1073); 2. जम्बू द्वीप प्रज्ञप्ति; 3. चन्द्रप्रज्ञप्ति; 4. सार्द्ध द्वय द्वीपप्रज्ञप्ति; 5. व्याख्याप्रज्ञप्ति; 6. धर्म परीक्षा; 7. सामायिक पाठ; 8. सुभाषित रत्नसंदोह; 9. भगवती आराधनाके संस्कृतश्लोक; 10. अमितगति श्रावकाचार। समय वि. 1040-1080 (ई. 983-1023)।
( कार्तिकेयानुप्रेक्षा / प्रस्तावना 35/A.N.Up); (सुभाषित रत्न सन्दोह/प्र.पं.पन्नालाल); ( योगसार अमितगति| योगसार / प्रस्तावना 2 पं.गजाधरलाल); ( अमितगति श्रावकाचार / प्रस्तावना1/पं.गजाधरलाल); (जै./1/380-381); ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/384); (देखें इतिहास - 7.11)।
पुराणकोष से
(1) राजा वसुदेव और उसकी रानी गन्धर्वसेना का पुत्र, वायुवेग का अनुज तथा महेन्द्रगिरि का अग्रज । हरिवंशपुराण 48.55
(2) अरिंजय के साथी एक चारणमुनि । वीरवर्द्धमान चरित्र 4.205
(3) भवनवासी देवों का पंद्रहवां इन्द्र । वीरवर्द्धमान चरित्र 14.54-58
(4) मति, श्रुत और अवधि इन तीन ज्ञानों के धारक एक मुनि । गर्भिणी अंजना को उसका पूर्वभव आदि इन्हीं ने बताया था । ये आकाशगामी थे । पद्मपुराण 17.139-140
(5) विजयार्ध पर्वत की दक्षिण श्रेणी के शिव मन्दिर नगर के राजा महेन्द्रविक्रम का पुत्र । इस विद्याधर के धूमसिंह और गौरमुण्ड नाम के दो विद्याधर मित्र थे । हिरण्यरोम तापस की पुत्री सुकुमारिका से इसने विवाह किया था । हरिवंशपुराण 21.22-28 इसकी विजयसेना और मनोरमा नाम की दो स्त्रियां और थी । विजयसेना की पुत्री सिंहसेना तथा मनोरमा के पुत्र सिंहयश का और वराहग्रीव थे । बड़े पुत्र को राज्य देकर और छोटे पुत्र को युवराज बनाकर यह अपने पिता मुनि महेंद्रविक्रम के पास दीक्षित हो गया । हरिवंशपुराण 21.118, 122