अर्ह (सूत्र): Difference between revisions
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Revision as of 21:37, 5 July 2020
भगवती आराधना / विजयोदयी टीका / गाथा 67/194/1 अरिहे अर्हः योग्यः। सविचारभक्तप्रत्याख्यानस्यायं योग्यो नेति प्रथमोऽधिकारः।
= अरिह - अर्ह अर्थात् योग्य। सविचारभक्त प्रत्याख्यान सल्लेखनाके लिए कौन व्यक्ति योग्य होता है और कौन नहीं, इसका वर्णन अर्ह सूत्र से किया जाता है। यह प्रथमाधिकार है।
(विस्तारके लिए देखें भगवती आराधना मुल या टीका गाथा 71-76)