जंबूस्वामी: Difference between revisions
From जैनकोष
m (Vikasnd moved page जंबूस्वामी to जंबूस्वामी without leaving a redirect: RemoveZWNJChar) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
―(म.पु./76/श्लोक नं.) पूर्वभव में ब्रह्मस्वर्ग का इन्द्र (31) वर्तमान भव में सेठ अर्हदासका। माता पिता भोगों में फंसाने का प्रयत्न करते हैं, पर स्वभाव से ही विरक्त होने के कारण भोगों के बजाय जिनदीक्षा को धारण कर अन्तिम केवली हुए (36-122)। श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप भगवान् वीर के पश्चात् तृतीय केवली हुए। समय–वी.नि.24-62 (ई0पू0503-465)।–देखें [[ इतिहास#4.4 | इतिहास - 4.4]] | |||
[[जंबूशंकुपुर | | <noinclude> | ||
[[ जंबूशंकुपुर | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[Category:ज]] | [[ जंबूस्वामी चरित्र | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | |||
[[Category: ज]] |
Revision as of 21:41, 5 July 2020
―(म.पु./76/श्लोक नं.) पूर्वभव में ब्रह्मस्वर्ग का इन्द्र (31) वर्तमान भव में सेठ अर्हदासका। माता पिता भोगों में फंसाने का प्रयत्न करते हैं, पर स्वभाव से ही विरक्त होने के कारण भोगों के बजाय जिनदीक्षा को धारण कर अन्तिम केवली हुए (36-122)। श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार आप भगवान् वीर के पश्चात् तृतीय केवली हुए। समय–वी.नि.24-62 (ई0पू0503-465)।–देखें इतिहास - 4.4