परिग्रहानंद: Difference between revisions
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Revision as of 21:43, 5 July 2020
रौद्रध्यान के चार भेदों में चौथा भेद । बाह्य और आभ्यन्तर दोनों प्रकार के परिग्रहों की रक्षा में आनन्द मानना । हरिवंशपुराण 56.19,25-26