महीपद्म: Difference between revisions
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<p> पुष्करार्ध द्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश की पुण्डरीकिणी नगरी का नृप । इसने मुनि भूतहित से उपदेश सुनकर पुत्र धनद को राज्य सौंपा और अनेक राजाओं के साथ दीक्षा ले ली थी अन्त में यह तीर्थङ्कर प्रकृति का बन्ध कर प्राणत स्वर्ग का इन्द्र हुआ । महापुराण 55.2-3, 13-14, 18-19, 22</p> | <p> पुष्करार्ध द्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश की पुण्डरीकिणी नगरी का नृप । इसने मुनि भूतहित से उपदेश सुनकर पुत्र धनद को राज्य सौंपा और अनेक राजाओं के साथ दीक्षा ले ली थी अन्त में यह तीर्थङ्कर प्रकृति का बन्ध कर प्राणत स्वर्ग का इन्द्र हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 55.2-3, 13-14, 18-19, 22 </span></p> | ||
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पुष्करार्ध द्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में पुष्कलावती देश की पुण्डरीकिणी नगरी का नृप । इसने मुनि भूतहित से उपदेश सुनकर पुत्र धनद को राज्य सौंपा और अनेक राजाओं के साथ दीक्षा ले ली थी अन्त में यह तीर्थङ्कर प्रकृति का बन्ध कर प्राणत स्वर्ग का इन्द्र हुआ । महापुराण 55.2-3, 13-14, 18-19, 22