वसुन्धर: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) तीर्थंकर वृषभदेव के इक्कीसवें गणधर । हरिवंशपुराण 12.58 </p> | <p id="1"> (1) तीर्थंकर वृषभदेव के इक्कीसवें गणधर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12.58 </span></p> | ||
<p id="2">(2) कुरुवंशी एक नृप । यह श्रीवसु का पुत्र और वसुरथ का पिता था । हरिवंशपुराण 45.26-27</p> | <p id="2">(2) कुरुवंशी एक नृप । यह श्रीवसु का पुत्र और वसुरथ का पिता था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 45.26-27 </span></p> | ||
<p id="3">(3) चक्रवर्ती जयसेन के तीसरे पूर्वभव का जीव-ऐरावत क्षेत्र के श्रीपुर नगर का राजा । यह अपने विनयन्धर पुत्र को राज्य सौंपकर संयमी हो गया था तथा आराधनापूर्वक मरण करके महाशुक्र स्वर्ग में देव हुआ । महापुराण 69.74-77</p> | <p id="3">(3) चक्रवर्ती जयसेन के तीसरे पूर्वभव का जीव-ऐरावत क्षेत्र के श्रीपुर नगर का राजा । यह अपने विनयन्धर पुत्र को राज्य सौंपकर संयमी हो गया था तथा आराधनापूर्वक मरण करके महाशुक्र स्वर्ग में देव हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 69.74-77 </span></p> | ||
<p id="5">(5) राजा जीवन्धर और रानी गन्घर्वदत्ता का पुत्र । जीवन्धर ने इसे राज्य देकर संयम धारण कर लिया था । महापुराण 75.680-681 </p> | <p id="5">(5) राजा जीवन्धर और रानी गन्घर्वदत्ता का पुत्र । जीवन्धर ने इसे राज्य देकर संयम धारण कर लिया था । <span class="GRef"> महापुराण 75.680-681 </span></p> | ||
<p id="5">(5) दशानन का पक्षधर एक नृप । इन्द्र विद्याधर के साथ हुए रावण के युद्ध में यह रावण के साथ था । पद्मपुराण 10.28,37</p> | <p id="5">(5) दशानन का पक्षधर एक नृप । इन्द्र विद्याधर के साथ हुए रावण के युद्ध में यह रावण के साथ था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 10.28,37 </span></p> | ||
<p id="6">(6) बलभद्र नन्दिषेण के पूर्व जन्म का नाम । पद्मपुराण 20.233</p> | <p id="6">(6) बलभद्र नन्दिषेण के पूर्व जन्म का नाम । <span class="GRef"> पद्मपुराण 20.233 </span></p> | ||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
(1) तीर्थंकर वृषभदेव के इक्कीसवें गणधर । हरिवंशपुराण 12.58
(2) कुरुवंशी एक नृप । यह श्रीवसु का पुत्र और वसुरथ का पिता था । हरिवंशपुराण 45.26-27
(3) चक्रवर्ती जयसेन के तीसरे पूर्वभव का जीव-ऐरावत क्षेत्र के श्रीपुर नगर का राजा । यह अपने विनयन्धर पुत्र को राज्य सौंपकर संयमी हो गया था तथा आराधनापूर्वक मरण करके महाशुक्र स्वर्ग में देव हुआ । महापुराण 69.74-77
(5) राजा जीवन्धर और रानी गन्घर्वदत्ता का पुत्र । जीवन्धर ने इसे राज्य देकर संयम धारण कर लिया था । महापुराण 75.680-681
(5) दशानन का पक्षधर एक नृप । इन्द्र विद्याधर के साथ हुए रावण के युद्ध में यह रावण के साथ था । पद्मपुराण 10.28,37
(6) बलभद्र नन्दिषेण के पूर्व जन्म का नाम । पद्मपुराण 20.233