व्यवहारचारित्र: Difference between revisions
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Revision as of 16:30, 5 July 2020
हिंसा आदि पाँचों पापों का कृत कारित और अनुमोदना से तीनों योगों की शुद्धिपूर्वक तीन गुप्ति और पंच समिति के परिपालन के साथ सदा के लिए त्याग करना व्यवहारचारित्र कहलाता है । वीरवर्द्धमान चरित्र 18.18-19