सत्कारपुरस्कारपरीषहजय: Difference between revisions
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Revision as of 16:30, 5 July 2020
एक परीषह । इसमें पूजा, प्रशंसा, आमन्त्रण आदर आदि के न होने पर हृदय में कुविचारों को स्थान नहीं रहता । सत्कार और पुरस्कार के होने अथवा नहीं होने में हर्ष-विषाद नहीं किया जाता है । महापुराण 36.126