स्थानाध्ययनांग: Difference between revisions
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<p> द्वादशांग श्रुतस्कन्ध का तीसरा अंग । इसमें बयालीस हजार पदों में जीव के दस स्थानों का वर्णन है । महापुराण 34.133, 137, हरिवंशपुराण 10.29</p> | <p> द्वादशांग श्रुतस्कन्ध का तीसरा अंग । इसमें बयालीस हजार पदों में जीव के दस स्थानों का वर्णन है । <span class="GRef"> महापुराण 34.133, 137, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.29 </span></p> | ||
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Revision as of 21:49, 5 July 2020
द्वादशांग श्रुतस्कन्ध का तीसरा अंग । इसमें बयालीस हजार पदों में जीव के दस स्थानों का वर्णन है । महापुराण 34.133, 137, हरिवंशपुराण 10.29