ऋषिमंत्र: Difference between revisions
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<p> तत्त्वज्ञ मुनियों द्वारा मान्य इस नाम से अभिहित | <p> तत्त्वज्ञ मुनियों द्वारा मान्य इस नाम से अभिहित मंत्र—अर्हज्जाताय नमः, निर्ग्रन्थाय नम:, वीतरागाय नम:, महावताय नम:, त्रिगुप्ताय नमः, महायोगाय नम:, विविधयोगाय नम:, विविधद्धये नम:, अंगधराथ नम:, पूर्वधराय नम:, गणधराय नम:, परमर्षिभ्यो नमो नमः, अनुपमजाताय नमो नम:, सम्यग्दृटे सम्यग्दृष्टे भूपते भूपते नगरपते गगरपते, कालश्रमण काक्खमण स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमुत्युविनाशन भवतु, समाधिमरण भवतु । <span class="GRef"> महापुराण 40. 38-47 </span></p> | ||
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Revision as of 21:38, 5 July 2020
तत्त्वज्ञ मुनियों द्वारा मान्य इस नाम से अभिहित मंत्र—अर्हज्जाताय नमः, निर्ग्रन्थाय नम:, वीतरागाय नम:, महावताय नम:, त्रिगुप्ताय नमः, महायोगाय नम:, विविधयोगाय नम:, विविधद्धये नम:, अंगधराथ नम:, पूर्वधराय नम:, गणधराय नम:, परमर्षिभ्यो नमो नमः, अनुपमजाताय नमो नम:, सम्यग्दृटे सम्यग्दृष्टे भूपते भूपते नगरपते गगरपते, कालश्रमण काक्खमण स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमुत्युविनाशन भवतु, समाधिमरण भवतु । महापुराण 40. 38-47