एककल्याणक: Difference between revisions
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<p> एक व्रत । इसकी साधना के लिए पहले दिन नीरस आहार लिया जाता है । दूसरे दिन के पिछले भाग में आधा आहार लिया जाता है । तीसरे दिन एकासन किया जाता है― इसमें भोजन में प्रथम बार जो भोजन सामने आवे उसे ही ग्रहण किया जाता है । चौथे दिन उपवास और पांचवें दिन आचाम्भ भोजन (इमली के साथ भात आहार में लेना) किया जाना है । हरिवंशपुराण 34.110</p> | <p> एक व्रत । इसकी साधना के लिए पहले दिन नीरस आहार लिया जाता है । दूसरे दिन के पिछले भाग में आधा आहार लिया जाता है । तीसरे दिन एकासन किया जाता है― इसमें भोजन में प्रथम बार जो भोजन सामने आवे उसे ही ग्रहण किया जाता है । चौथे दिन उपवास और पांचवें दिन आचाम्भ भोजन (इमली के साथ भात आहार में लेना) किया जाना है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 34.110 </span></p> | ||
Revision as of 21:38, 5 July 2020
एक व्रत । इसकी साधना के लिए पहले दिन नीरस आहार लिया जाता है । दूसरे दिन के पिछले भाग में आधा आहार लिया जाता है । तीसरे दिन एकासन किया जाता है― इसमें भोजन में प्रथम बार जो भोजन सामने आवे उसे ही ग्रहण किया जाता है । चौथे दिन उपवास और पांचवें दिन आचाम्भ भोजन (इमली के साथ भात आहार में लेना) किया जाना है । हरिवंशपुराण 34.110