गुरुस्थानाभपगमक्रिया: Difference between revisions
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<p> गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में सत्ताईसवीं क्रिया-सर्वविद्यावान् और जितेन्द्रिय साधु का गुरु के अनुग्रह से गुरु का स्थान ग्रहण करना । ऐसा यही साधु कर सकता है, जो ज्ञानविज्ञान से सम्पन्न हो, गुरु को इष्ट हो और विनयवान् तथा धर्मात्मा हो । महापुराण 38.58,163-167</p> | <p> गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में सत्ताईसवीं क्रिया-सर्वविद्यावान् और जितेन्द्रिय साधु का गुरु के अनुग्रह से गुरु का स्थान ग्रहण करना । ऐसा यही साधु कर सकता है, जो ज्ञानविज्ञान से सम्पन्न हो, गुरु को इष्ट हो और विनयवान् तथा धर्मात्मा हो । <span class="GRef"> महापुराण 38.58,163-167 </span></p> | ||
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Revision as of 21:40, 5 July 2020
गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में सत्ताईसवीं क्रिया-सर्वविद्यावान् और जितेन्द्रिय साधु का गुरु के अनुग्रह से गुरु का स्थान ग्रहण करना । ऐसा यही साधु कर सकता है, जो ज्ञानविज्ञान से सम्पन्न हो, गुरु को इष्ट हो और विनयवान् तथा धर्मात्मा हो । महापुराण 38.58,163-167