चंद्राभा: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) वटपुर नगर के राजा वीरसेन की भार्या । राजा मधु ने वीरसेन को धोखा देकर इसे अपनी स्त्री बनाया तथा उसे पटरानी का पद देकर मनचाहे भोग-भोगने लगा था अपने पूर्व पति को अपने वियोग में दु:खी देखकर वह द्रवित हो गयी । इसने मधु को भी उसकी दीन-दशा दिखाई । इधर राज-पुरुषों ने मधु से पूछा कि परस्त्री सेवी पुरुष को कौन-सा दण्ड दिया जावे । इसने उत्तर दिया कि उसके हाथ-पैर सिर काट दिये जाये । राजपुरुषों ने मधु से कहा कि परस्त्री हरण का अपराध तो उन्होंने भी किया है । इससे मधु बहुत लज्जित हुआ तथा विरक्त होकर विमलवाहन मुनिराज से उसने दीक्षा ले ली । इसने भी आर्यिका के व्रत स्वीकार कर लिये । पद्मपुराण 109. 136-162, हरिवंशपुराण 43. 163-203</p> | <p id="1"> (1) वटपुर नगर के राजा वीरसेन की भार्या । राजा मधु ने वीरसेन को धोखा देकर इसे अपनी स्त्री बनाया तथा उसे पटरानी का पद देकर मनचाहे भोग-भोगने लगा था अपने पूर्व पति को अपने वियोग में दु:खी देखकर वह द्रवित हो गयी । इसने मधु को भी उसकी दीन-दशा दिखाई । इधर राज-पुरुषों ने मधु से पूछा कि परस्त्री सेवी पुरुष को कौन-सा दण्ड दिया जावे । इसने उत्तर दिया कि उसके हाथ-पैर सिर काट दिये जाये । राजपुरुषों ने मधु से कहा कि परस्त्री हरण का अपराध तो उन्होंने भी किया है । इससे मधु बहुत लज्जित हुआ तथा विरक्त होकर विमलवाहन मुनिराज से उसने दीक्षा ले ली । इसने भी आर्यिका के व्रत स्वीकार कर लिये । <span class="GRef"> पद्मपुराण 109. 136-162, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 43. 163-203 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सुग्रीव की तेरह पुत्रियों में प्रथम पुत्री । यह राम के गुणश्रवण कर स्वयंवरण की इच्छा से हर्षपूर्वक उनके पास आयी थी । पद्मपुराण 47.136-137</p> | <p id="2">(2) सुग्रीव की तेरह पुत्रियों में प्रथम पुत्री । यह राम के गुणश्रवण कर स्वयंवरण की इच्छा से हर्षपूर्वक उनके पास आयी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 47.136-137 </span></p> | ||
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Revision as of 21:40, 5 July 2020
(1) वटपुर नगर के राजा वीरसेन की भार्या । राजा मधु ने वीरसेन को धोखा देकर इसे अपनी स्त्री बनाया तथा उसे पटरानी का पद देकर मनचाहे भोग-भोगने लगा था अपने पूर्व पति को अपने वियोग में दु:खी देखकर वह द्रवित हो गयी । इसने मधु को भी उसकी दीन-दशा दिखाई । इधर राज-पुरुषों ने मधु से पूछा कि परस्त्री सेवी पुरुष को कौन-सा दण्ड दिया जावे । इसने उत्तर दिया कि उसके हाथ-पैर सिर काट दिये जाये । राजपुरुषों ने मधु से कहा कि परस्त्री हरण का अपराध तो उन्होंने भी किया है । इससे मधु बहुत लज्जित हुआ तथा विरक्त होकर विमलवाहन मुनिराज से उसने दीक्षा ले ली । इसने भी आर्यिका के व्रत स्वीकार कर लिये । पद्मपुराण 109. 136-162, हरिवंशपुराण 43. 163-203
(2) सुग्रीव की तेरह पुत्रियों में प्रथम पुत्री । यह राम के गुणश्रवण कर स्वयंवरण की इच्छा से हर्षपूर्वक उनके पास आयी थी । पद्मपुराण 47.136-137