चिंताजननी: Difference between revisions
From जैनकोष
m (Vikasnd moved page चिन्ताजननी to चिन्ताजननी without leaving a redirect: RemoveZWNJChar) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में काकिणी रत्न का नाम । यह अजीव रत्न भरतेश के श्रीगृह में प्रकट हुआ । इससे अन्धकार दूर किया जा सकता था । महापुराण 37. 83-85, 173</p> | <p> चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में काकिणी रत्न का नाम । यह अजीव रत्न भरतेश के श्रीगृह में प्रकट हुआ । इससे अन्धकार दूर किया जा सकता था । <span class="GRef"> महापुराण 37. 83-85, 173 </span></p> | ||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ चिन्तागति | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ चिन्तामणि | अगला पृष्ठ ]] | [[ चिन्तामणि | अगला पृष्ठ ]] |
Revision as of 21:41, 5 July 2020
चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में काकिणी रत्न का नाम । यह अजीव रत्न भरतेश के श्रीगृह में प्रकट हुआ । इससे अन्धकार दूर किया जा सकता था । महापुराण 37. 83-85, 173