नलिनकेतुक: Difference between revisions
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<p> जम्बूद्वीप के ऐरावत क्षेत्र में गान्धार देश के विंध्यपुर नगर के राजा विंध्यसेन और उनकी रानी सुलक्षणा का पुत्र । अपने नगर के एक वणिक् धनमित्र के पुत्र सुदत्त की स्त्री प्रीतिंकरा का इसने अपहरण किया । एक दिन उल्कापात देखने से इसे आत्मज्ञान हुआ । विरक्त होकर अपने दुश्चरित्र की निन्दा करते हुए सीमंकर मुनि के पास इसने दीक्षा ले ली तथा उग्र तप से क्रम-क्रम से केवलज्ञान प्राप्त करके मोक्ष-काम किया । महापुराण 63.99-104</p> | <p> जम्बूद्वीप के ऐरावत क्षेत्र में गान्धार देश के विंध्यपुर नगर के राजा विंध्यसेन और उनकी रानी सुलक्षणा का पुत्र । अपने नगर के एक वणिक् धनमित्र के पुत्र सुदत्त की स्त्री प्रीतिंकरा का इसने अपहरण किया । एक दिन उल्कापात देखने से इसे आत्मज्ञान हुआ । विरक्त होकर अपने दुश्चरित्र की निन्दा करते हुए सीमंकर मुनि के पास इसने दीक्षा ले ली तथा उग्र तप से क्रम-क्रम से केवलज्ञान प्राप्त करके मोक्ष-काम किया । <span class="GRef"> महापुराण 63.99-104 </span></p> | ||
Revision as of 21:42, 5 July 2020
जम्बूद्वीप के ऐरावत क्षेत्र में गान्धार देश के विंध्यपुर नगर के राजा विंध्यसेन और उनकी रानी सुलक्षणा का पुत्र । अपने नगर के एक वणिक् धनमित्र के पुत्र सुदत्त की स्त्री प्रीतिंकरा का इसने अपहरण किया । एक दिन उल्कापात देखने से इसे आत्मज्ञान हुआ । विरक्त होकर अपने दुश्चरित्र की निन्दा करते हुए सीमंकर मुनि के पास इसने दीक्षा ले ली तथा उग्र तप से क्रम-क्रम से केवलज्ञान प्राप्त करके मोक्ष-काम किया । महापुराण 63.99-104