योगसार - अजीव-अधिकार गाथा 80: Difference between revisions
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द्रव्य के दो भेद और उनका लक्षण - | <p class="Utthanika">द्रव्य के दो भेद और उनका लक्षण -</p> | ||
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मूर्ताूर्तं द्विधा द्रव्यं मूर्ताूर्तैर्गुणैर्युतम् ।<br> | मूर्ताूर्तं द्विधा द्रव्यं मूर्ताूर्तैर्गुणैर्युतम् ।<br> | ||
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<p><b> अन्वय </b>:- मूर्त-अमूर्तै: गुणै: युतं द्रव्यं मूर्त-अमूर्तं द्विधा (भवति), अक्षग्राह्या: गुणा: मूर्ता:, अतीन्द्रिया: अमूर्ता: सन्ति । </p> | <p class="GathaAnvaya"><b> अन्वय </b>:- मूर्त-अमूर्तै: गुणै: युतं द्रव्यं मूर्त-अमूर्तं द्विधा (भवति), अक्षग्राह्या: गुणा: मूर्ता:, अतीन्द्रिया: अमूर्ता: सन्ति । </p> | ||
<p><b> सरलार्थ </b>:- द्रव्य मूर्तिक और अमूर्तिक दो प्रकार के हैं - जो द्रव्य मूर्त गुणों से सहित है, वे मूर्तिक द्रव्य हैं और जो द्रव्य अमूर्त गुणों से सहित है, वे अमूर्तिक द्रव्य हैं । जो गुण इन्द्रियों से जानने में आते हैं, वे मूर्त गुण हैं और जो गुण इन्द्रियों से जानने में नहीं आते वे अमूर्त गुण हैं । </p> | <p class="GathaArth"><b> सरलार्थ </b>:- द्रव्य मूर्तिक और अमूर्तिक दो प्रकार के हैं - जो द्रव्य मूर्त गुणों से सहित है, वे मूर्तिक द्रव्य हैं और जो द्रव्य अमूर्त गुणों से सहित है, वे अमूर्तिक द्रव्य हैं । जो गुण इन्द्रियों से जानने में आते हैं, वे मूर्त गुण हैं और जो गुण इन्द्रियों से जानने में नहीं आते वे अमूर्त गुण हैं । </p> | ||
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Latest revision as of 10:17, 15 May 2009
द्रव्य के दो भेद और उनका लक्षण -
मूर्ताूर्तं द्विधा द्रव्यं मूर्ताूर्तैर्गुणैर्युतम् ।
अक्षग्राह्या गुणा मूर्ता अमूर्ता सन्त्यतीन्द्रिया: ।।८०।।
अन्वय :- मूर्त-अमूर्तै: गुणै: युतं द्रव्यं मूर्त-अमूर्तं द्विधा (भवति), अक्षग्राह्या: गुणा: मूर्ता:, अतीन्द्रिया: अमूर्ता: सन्ति ।
सरलार्थ :- द्रव्य मूर्तिक और अमूर्तिक दो प्रकार के हैं - जो द्रव्य मूर्त गुणों से सहित है, वे मूर्तिक द्रव्य हैं और जो द्रव्य अमूर्त गुणों से सहित है, वे अमूर्तिक द्रव्य हैं । जो गुण इन्द्रियों से जानने में आते हैं, वे मूर्त गुण हैं और जो गुण इन्द्रियों से जानने में नहीं आते वे अमूर्त गुण हैं ।