अनित्यानुप्रेक्षा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> बारह अनुप्रेक्षाओं में पहली अनुप्रेक्षा । सुख, आयु, बल, | <p> बारह अनुप्रेक्षाओं में पहली अनुप्रेक्षा । सुख, आयु, बल, संपदा सभी अनित्य है, जीवन मेध के समान, देह वृक्ष की छाया सदृश और यौवन जल के बुलबुलों के समान क्षणभंगुर है । आत्मा के अतिरिक्त कोई वस्तु नित्य नहीं है । शरीर रोगों का घर है, इंद्रिय सुख क्षणभंगुर हैं, प्रत्येक वस्तु नाशवान् हैं, चक्रवतियों की राजलक्ष्मी भी अस्थिर है, इस प्रकार सांसारिक पदार्थों की अनित्यता का चिंतन करना अनित्यानुप्रेक्षा है । <span class="GRef"> महापुराण 11. 105, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 14.237-239, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 25.75-80, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 11. 5-13, </span>देखें [[ अनुप्रेक्षा ]]</p> | ||
Line 5: | Line 5: | ||
[[ अनित्यसमा जाति | पूर्व पृष्ठ ]] | [[ अनित्यसमा जाति | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ | [[ अनिबद्ध मंगल | अगला पृष्ठ ]] | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] |
Revision as of 16:16, 19 August 2020
बारह अनुप्रेक्षाओं में पहली अनुप्रेक्षा । सुख, आयु, बल, संपदा सभी अनित्य है, जीवन मेध के समान, देह वृक्ष की छाया सदृश और यौवन जल के बुलबुलों के समान क्षणभंगुर है । आत्मा के अतिरिक्त कोई वस्तु नित्य नहीं है । शरीर रोगों का घर है, इंद्रिय सुख क्षणभंगुर हैं, प्रत्येक वस्तु नाशवान् हैं, चक्रवतियों की राजलक्ष्मी भी अस्थिर है, इस प्रकार सांसारिक पदार्थों की अनित्यता का चिंतन करना अनित्यानुप्रेक्षा है । महापुराण 11. 105, पद्मपुराण 14.237-239, पांडवपुराण 25.75-80, वीरवर्द्धमान चरित्र 11. 5-13, देखें अनुप्रेक्षा