अर्थज सम्यक्त्व: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> सम्यक्त्व का आठवां भेद अपरनाम अर्थोत्पन्न सम्यक्त्वद्वादशांग श्रुत रूप समुद्र का अवगाहन करके और वचन-विस्तार को छोड़कर अर्थ मात्र का अवधारण करने से उत्पन्न श्रद्धा । <span class="GRef"> महापुराण 74.439-440, 447, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19.158 </span>देखें [[ सम्यक्त्व ]]</p> | <div class="HindiText"> <p> सम्यक्त्व का आठवां भेद अपरनाम अर्थोत्पन्न सम्यक्त्वद्वादशांग श्रुत रूप समुद्र का अवगाहन करके और वचन-विस्तार को छोड़कर अर्थ मात्र का अवधारण करने से उत्पन्न श्रद्धा । <span class="GRef"> महापुराण 74.439-440, 447, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19.158 </span>देखें [[ सम्यक्त्व ]]</p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:51, 14 November 2020
सम्यक्त्व का आठवां भेद अपरनाम अर्थोत्पन्न सम्यक्त्वद्वादशांग श्रुत रूप समुद्र का अवगाहन करके और वचन-विस्तार को छोड़कर अर्थ मात्र का अवधारण करने से उत्पन्न श्रद्धा । महापुराण 74.439-440, 447, वीरवर्द्धमान चरित्र 19.158 देखें सम्यक्त्व