आंदोलन करण: Difference between revisions
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<p>देखें [[ अश्वकर्णकरण ]]।</p> | <span class="GRef">क्षपणासार /भाषा 462</span> | ||
<p class="HindiText"> चारित्र मोह की क्षपणा विधि में, संज्वलन चतुष्क का अनुभाग, प्रथम कांडक का धात भए पीछे, क्रोध से लोभ पर्यंत क्रम से उसी प्रकार घटता ही है, जिस प्रकार कि घोड़े का कान मध्य प्रदेशतै आदि प्रदेश पर्यंत घटता हो है। इसलिए क्षपक की इस स्थिति को अश्वकर्ण कहते हैं। ऐसी स्थिति में लाने की जो विधि विशेष उसे अश्वकर्णकरण कहते हैं। इसी का अपर नाम अपर्वतनोद्वर्तन व '''आंदोलनकरण''' भी है।</p> | |||
<p class="HindiText"> देखें [[ अश्वकर्णकरण ]]।</p> | |||
Revision as of 19:47, 30 December 2022
क्षपणासार /भाषा 462
चारित्र मोह की क्षपणा विधि में, संज्वलन चतुष्क का अनुभाग, प्रथम कांडक का धात भए पीछे, क्रोध से लोभ पर्यंत क्रम से उसी प्रकार घटता ही है, जिस प्रकार कि घोड़े का कान मध्य प्रदेशतै आदि प्रदेश पर्यंत घटता हो है। इसलिए क्षपक की इस स्थिति को अश्वकर्ण कहते हैं। ऐसी स्थिति में लाने की जो विधि विशेष उसे अश्वकर्णकरण कहते हैं। इसी का अपर नाम अपर्वतनोद्वर्तन व आंदोलनकरण भी है।
देखें अश्वकर्णकरण ।