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| <p id="1"> (1) मगधदेश के अचलग्रामवासी घरणीजट ब्राह्मण और उसकी पत्नी अग्निला का पुत्र, अग्निभूति का सहोदर । <span class="GRef"> महापुराण 62. 325-326 </span></p> | | #REDIRECT [[इंद्रभूति]] |
| <p id="2">(2) गौतम गोत्रीय महाभिमानी वेदपाठी-ब्राह्मण । भगवान् महावीर के समवसरण में मानस्तम्भ देखकर इनका मानभंग हो गया था । इन्होंने अपने पाँच सौ शिष्यों के साथ दीक्षा धारण की थी । तप करके इन्होंने सात ऋद्धियों प्राप्त की थी । महावीर के ये प्रथम गणधर हुए । श्रावण कृष्णा एकम के पूर्वाह्न में ये श्रुतज्ञानी हुए और उसी तिथि को पूर्व रात्रि में इन्होंने सम्पूर्ण स्वत को आगम के रूप में निबद्ध कर दिया था । इनका दूसरा नाम गौतम है । सुधर्माचार्य ने इनसे ही श्रुत प्राप्त किया था । इन्द्र द्वारा पूजित होने से इनको यह नाम मिला था । अन्त में विपुलाचल पर्वत पर इन्होंने मोक्ष पाया था । <span class="GRef"> महापुराण 2.53, 74.356-372, 76.507-517, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 1.41 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.60, 3.41, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18.159-160 </span></p>
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| [[ इन्द्रप्रभ | पूर्व पृष्ठ ]] | |
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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| [[Category: इ]]
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