कमल: Difference between revisions
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<li> लोक की रचना में प्रत्येक बावड़ी में अनेकों कमलाकार द्वीप स्थित हैं; जिन्हें कमल कहा गया है। इन पर देवियाँ व उनके परिवार के देव निवास करते हैं। इनका अवस्थान व विस्तार आदि–देखें [[ लोक#3.9 | लोक - 3.9 ]]ये कमल वनस्पतिकाय के नहीं बल्कि पृथिवीकाय के हैं–देखें [[ वृक्ष ]]। </li> | <li> लोक की रचना में प्रत्येक बावड़ी में अनेकों कमलाकार द्वीप स्थित हैं; जिन्हें कमल कहा गया है। इन पर देवियाँ व उनके परिवार के देव निवास करते हैं। इनका अवस्थान व विस्तार आदि–देखें [[ लोक#3.9 | लोक - 3.9 ]]ये कमल वनस्पतिकाय के नहीं बल्कि पृथिवीकाय के हैं–देखें [[ वृक्ष ]]। </li> | ||
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<p> चौरासी लाख कमलांग प्रमाण काल । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.27, </span><span class="GRef"> महापुराण 3. 109,224 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> चौरासी लाख कमलांग प्रमाण काल । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.27, </span><span class="GRef"> महापुराण 3. 109,224 </span></p> | ||
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Revision as of 16:52, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
- लोक की रचना में प्रत्येक बावड़ी में अनेकों कमलाकार द्वीप स्थित हैं; जिन्हें कमल कहा गया है। इन पर देवियाँ व उनके परिवार के देव निवास करते हैं। इनका अवस्थान व विस्तार आदि–देखें लोक - 3.9 ये कमल वनस्पतिकाय के नहीं बल्कि पृथिवीकाय के हैं–देखें वृक्ष ।
- काल का एक प्रमाण–देखें गणित - I.1.4।
पुराणकोष से
चौरासी लाख कमलांग प्रमाण काल । हरिवंशपुराण 7.27, महापुराण 3. 109,224