कौत्युच्य: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
सर्वार्थसिद्धि/7/32/369/14 <span class="SanskritText">तदेवोभयं परत्र दुष्टकायकर्म प्रयुक्तं कौत्कुच्यम् ।</span>=<span class="HindiText">परिहार और असभ्यवचन इन दोनों के साथ दूसरे के लिए शारीरिक कुचेष्टाएँ करना कौत्कुच्य है। ( राजवार्तिक/7/32/2/556 )। </span> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 19:10, 17 July 2020
सर्वार्थसिद्धि/7/32/369/14 तदेवोभयं परत्र दुष्टकायकर्म प्रयुक्तं कौत्कुच्यम् ।=परिहार और असभ्यवचन इन दोनों के साथ दूसरे के लिए शारीरिक कुचेष्टाएँ करना कौत्कुच्य है। ( राजवार्तिक/7/32/2/556 )।