क्षपण: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) क्षीणराग तथा क्षमावान् तप से कृश और क्षोणपाप साधु । <span class="GRef"> पद्मपुराण 109.87 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) क्षीणराग तथा क्षमावान् तप से कृश और क्षोणपाप साधु । <span class="GRef"> पद्मपुराण 109.87 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक मास का उपवास । <span class="GRef"> महापुराण 8.202 </span></p> | <p id="2">(2) एक मास का उपवास । <span class="GRef"> महापुराण 8.202 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
दर्शनमोह व चारित्रमोह क्षपणा विधान। देखें क्षय - 2,3।
पुराणकोष से
(1) क्षीणराग तथा क्षमावान् तप से कृश और क्षोणपाप साधु । पद्मपुराण 109.87
(2) एक मास का उपवास । महापुराण 8.202