क्षेत्रज्ञ: Difference between revisions
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<p id="1">(1) जीव के स्वरूप का ज्ञाता । <span class="GRef"> महापुराण 24.105 </span></p> | <p id="1">(1) जीव के स्वरूप का ज्ञाता । <span class="GRef"> महापुराण 24.105 </span></p> | ||
<p id="2">(2) सत्ताईस सूत्रपदों में एक सूत्र― इसमें शुद्धात्मा के स्वरूप का वर्णन है । <span class="GRef"> महापुराण 39.165,188 </span></p> | <p id="2">(2) सत्ताईस सूत्रपदों में एक सूत्र― इसमें शुद्धात्मा के स्वरूप का वर्णन है । <span class="GRef"> महापुराण 39.165,188 </span></p> | ||
<p id="3">(3) | <p id="3">(3) सौधर्मेंद्र द्वारा मृत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण 25.121 </span></p> | ||
Revision as of 16:21, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == जीव को क्षेत्रज्ञ कहने की विवक्षा (देखें जीव - 1.2,3)
पुराणकोष से
(1) जीव के स्वरूप का ज्ञाता । महापुराण 24.105
(2) सत्ताईस सूत्रपदों में एक सूत्र― इसमें शुद्धात्मा के स्वरूप का वर्णन है । महापुराण 39.165,188
(3) सौधर्मेंद्र द्वारा मृत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.121