गण: Difference between revisions
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<p class="HindiText"><strong>2. निज परगणानुपस्थापना प्रायश्चित्त</strong>—देखें [[ परिहार प्रायश्चित्त ]]।</p> | <p class="HindiText"><strong>2. निज परगणानुपस्थापना प्रायश्चित्त</strong>—देखें [[ परिहार प्रायश्चित्त ]]।</p> | ||
Revision as of 19:10, 17 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
सर्वार्थसिद्धि/9/24/442/9 गण: स्थविरसंतति:।=स्थविरों की सन्तति को गण कहते हैं। ( राजवार्तिक/9/24/8/623/20 ); ( चारित्रसार/151/3 ) धवला 13/5,4,26/63/8 तिपुरिसओ गणो।=तीन पुरुषों के समुदाय को गण कहते हैं।
2. निज परगणानुपस्थापना प्रायश्चित्त—देखें परिहार प्रायश्चित्त ।
पुराणकोष से
बारह गणों की बारह सभाएँ । ये समवसरण में होती हैं । महापुराण 33. 157