गंग: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) भरतक्षेत्रस्य कुरुजांगल देश में हस्तिनापुर नगर के राजा गंगदेव और रानी | <p id="1"> (1) भरतक्षेत्रस्य कुरुजांगल देश में हस्तिनापुर नगर के राजा गंगदेव और रानी नंदयशा का गंगदेव के साथ युगल रूप में उत्पन्न पुत्र । इसके चार भाई और थे । इनके नाम हैं― नंद, सुनंद, नंदिषेण और निर्नामक । <span class="GRef"> महापुराण 71,261-265 </span>हरिवंश पुराण में गंगदेव को गंगदत्त बताया है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 33.142-143 </span></p> | ||
<p id="2">(2) महावीर के निर्वाण के पश्चात् एक सौ बासठ वर्ष का समय निकल जाने पर एक सौ तिरासी वर्ष के काल में हुए दस पूर्व और ग्यारह अंग के धारी ग्यारह मुनियों में दसवें मुनि । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 46 </span>अपरनाम गंगदेव । <span class="GRef"> महापुराण 2.144 </span></p> | <p id="2">(2) महावीर के निर्वाण के पश्चात् एक सौ बासठ वर्ष का समय निकल जाने पर एक सौ तिरासी वर्ष के काल में हुए दस पूर्व और ग्यारह अंग के धारी ग्यारह मुनियों में दसवें मुनि । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 46 </span>अपरनाम गंगदेव । <span class="GRef"> महापुराण 2.144 </span></p> | ||
Revision as of 16:22, 19 August 2020
(1) भरतक्षेत्रस्य कुरुजांगल देश में हस्तिनापुर नगर के राजा गंगदेव और रानी नंदयशा का गंगदेव के साथ युगल रूप में उत्पन्न पुत्र । इसके चार भाई और थे । इनके नाम हैं― नंद, सुनंद, नंदिषेण और निर्नामक । महापुराण 71,261-265 हरिवंश पुराण में गंगदेव को गंगदत्त बताया है । हरिवंशपुराण 33.142-143
(2) महावीर के निर्वाण के पश्चात् एक सौ बासठ वर्ष का समय निकल जाने पर एक सौ तिरासी वर्ष के काल में हुए दस पूर्व और ग्यारह अंग के धारी ग्यारह मुनियों में दसवें मुनि । वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 46 अपरनाम गंगदेव । महापुराण 2.144