चमर: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का चौदहवाँ नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19. 79, 87 </span>अपरनाम | <p id="1"> (1) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का चौदहवाँ नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19. 79, 87 </span>अपरनाम चमरचंपा । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.85 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर सुमतिनाथ का मुख्य गणधर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 347 </span></p> | <p id="2">(2) तीर्थंकर सुमतिनाथ का मुख्य गणधर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60. 347 </span></p> | ||
<p id="3">(3) कृष्ण के पक्ष का एक नृप । <span class="GRef"> महापुराण 71.75-76 </span></p> | <p id="3">(3) कृष्ण के पक्ष का एक नृप । <span class="GRef"> महापुराण 71.75-76 </span></p> | ||
<p id="4">(4) श्रीभूति (सत्यघोष) मंत्री का जीव । <span class="GRef"> महापुराण 59.196 </span></p> | <p id="4">(4) श्रीभूति (सत्यघोष) मंत्री का जीव । <span class="GRef"> महापुराण 59.196 </span></p> | ||
<p id="5">(5) इस नाम का | <p id="5">(5) इस नाम का इंद्र । यह भगवान् के जन्मोत्सव में उन पर चमर ढोरता है । <span class="GRef"> महापुराण 71.42 </span></p> | ||
<p id="6">(6) पारिव्राज्य क्रिया के सत्ताईस सूत्रपदों में एक सूत्रपद । ऐसे तपस्वियों पर | <p id="6">(6) पारिव्राज्य क्रिया के सत्ताईस सूत्रपदों में एक सूत्रपद । ऐसे तपस्वियों पर जिनेंद्र पर्याय में चौसठ चमर ढुराये जाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 39.164, 182 </span></p> | ||
<p id="7">(7) अष्ट प्रातिहायों में एक प्रातिहार्य । | <p id="7">(7) अष्ट प्रातिहायों में एक प्रातिहार्य । चंद्रमा के समान जिनेंद्र पर चौसठ, चक्रवर्ती पर बत्तीस, अर्धचक्री पर सोलह, मंडलेश्वर पर आठ, अर्ध मंडलेश्वर पर चार, महाराज पर दो और राजा पर एक इस प्रकार चमर ढोरे जाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 24.46, 48,23.50-60, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 4.27, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 15.8-9 </span></p> | ||
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Revision as of 16:22, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर–देखें विद्याधर ।
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का चौदहवाँ नगर । महापुराण 19. 79, 87 अपरनाम चमरचंपा । हरिवंशपुराण 22.85
(2) तीर्थंकर सुमतिनाथ का मुख्य गणधर । हरिवंशपुराण 60. 347
(3) कृष्ण के पक्ष का एक नृप । महापुराण 71.75-76
(4) श्रीभूति (सत्यघोष) मंत्री का जीव । महापुराण 59.196
(5) इस नाम का इंद्र । यह भगवान् के जन्मोत्सव में उन पर चमर ढोरता है । महापुराण 71.42
(6) पारिव्राज्य क्रिया के सत्ताईस सूत्रपदों में एक सूत्रपद । ऐसे तपस्वियों पर जिनेंद्र पर्याय में चौसठ चमर ढुराये जाते हैं । महापुराण 39.164, 182
(7) अष्ट प्रातिहायों में एक प्रातिहार्य । चंद्रमा के समान जिनेंद्र पर चौसठ, चक्रवर्ती पर बत्तीस, अर्धचक्री पर सोलह, मंडलेश्वर पर आठ, अर्ध मंडलेश्वर पर चार, महाराज पर दो और राजा पर एक इस प्रकार चमर ढोरे जाते हैं । महापुराण 24.46, 48,23.50-60, पद्मपुराण 4.27, वीरवर्द्धमान चरित्र 15.8-9