चरमांग: Difference between revisions
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<p> चरमशरीरी और तद्भव मोक्षगामी जीव । ये जहाँ तप में लीन रहते हैं वहाँ इनके ऊपर से जाते हुए देवों के विमान रुक जाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 15.126, 72.48-49 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> चरमशरीरी और तद्भव मोक्षगामी जीव । ये जहाँ तप में लीन रहते हैं वहाँ इनके ऊपर से जाते हुए देवों के विमान रुक जाते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 15.126, 72.48-49 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
चरमशरीरी और तद्भव मोक्षगामी जीव । ये जहाँ तप में लीन रहते हैं वहाँ इनके ऊपर से जाते हुए देवों के विमान रुक जाते हैं । महापुराण 15.126, 72.48-49