चित्रकूट: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के पचास नगरों में एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19.51, 53, 63.202 </span></p> | <p id="1"> (1) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के पचास नगरों में एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19.51, 53, 63.202 </span></p> | ||
<p id="2">(2) पूर्व विदेह का एक वक्षारगिरि । यह नील पर्वत और सीता नदी के मध्य में स्थित है । <span class="GRef"> महापुराण 63. 202, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.228 </span></p> | <p id="2">(2) पूर्व विदेह का एक वक्षारगिरि । यह नील पर्वत और सीता नदी के मध्य में स्थित है । <span class="GRef"> महापुराण 63. 202, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.228 </span></p> | ||
<p id="3">(3) वाराणसी का एक | <p id="3">(3) वाराणसी का एक सुंदर उद्यान-पर्वत । राम-लक्ष्मण और सीता यहाँ चार मास पंद्रह दिन रहे थे । <span class="GRef"> महापुराण 68.126, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 33.40 </span></p> | ||
Revision as of 16:22, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- पूर्व विदेह का एक वक्षार पर्वत तथा उसका स्वामी देव–देखें लोक - 5.3।
- विजयार्ध की दक्षिण श्रेणी का एक नगर–देखें विद्याधर ।
- वर्तमान का ‘चित्तौड़गढ़ नगर’ (पं.सं./प्र.41/A.N. Up तथा H.L.Jain.)
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध की दक्षिणश्रेणी के पचास नगरों में एक नगर । महापुराण 19.51, 53, 63.202
(2) पूर्व विदेह का एक वक्षारगिरि । यह नील पर्वत और सीता नदी के मध्य में स्थित है । महापुराण 63. 202, हरिवंशपुराण 5.228
(3) वाराणसी का एक सुंदर उद्यान-पर्वत । राम-लक्ष्मण और सीता यहाँ चार मास पंद्रह दिन रहे थे । महापुराण 68.126, पद्मपुराण 33.40