चिंताजननी: Difference between revisions
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चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में काकिणी रत्न का नाम । यह अजीव रत्न भरतेश के श्रीगृह में प्रकट हुआ । इससे अन्धकार दूर किया जा सकता था । महापुराण 37. 83-85, 173