चुलुलित: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
कायोत्सर्ग का एक अतिचार–देखें [[ व्युत्सर्ग#1 | व्युत्सर्ग - 1]]। | <span class="GRef"> अनगारधर्मामृत/8/111 </span><span class="SanskritGatha"> द्वात्रिंशो वंदने गीत्या दोषः सुललिताह्वयः। इति दोषोज्झिता कार्या वंदना निर्जरार्थिना।111। </span>=<span class="HindiText"> पाठ को पंचम स्वर में गा-गाकर बोलना सुललित या चलुलित दोष है। इस प्रकार ये वंदना के 32 दोष कहे।111। <br /> | ||
</span> | |||
<span class="HindiText">कायोत्सर्ग का एक अतिचार–देखें [[ व्युत्सर्ग#1 | व्युत्सर्ग - 1]]। </span> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 11: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: च]] | [[Category: च]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Revision as of 11:44, 14 May 2023
अनगारधर्मामृत/8/111 द्वात्रिंशो वंदने गीत्या दोषः सुललिताह्वयः। इति दोषोज्झिता कार्या वंदना निर्जरार्थिना।111। = पाठ को पंचम स्वर में गा-गाकर बोलना सुललित या चलुलित दोष है। इस प्रकार ये वंदना के 32 दोष कहे।111।
कायोत्सर्ग का एक अतिचार–देखें व्युत्सर्ग - 1।