दशवैकालिक: Difference between revisions
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द्वादशांग ज्ञान के चौदह पूर्वों में से सातवां अंग बाह्य।–देखें [[ श्रुतज्ञान#III | श्रुतज्ञान - III]]। | द्वादशांग ज्ञान के चौदह पूर्वों में से सातवां अंग बाह्य।–देखें [[ श्रुतज्ञान#III | श्रुतज्ञान - III]]। | ||
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> अंगबाह्य श्रुत का सातवाँ प्रकीर्णक । इसमें मुनियों की गोचरी आदि वृत्तियों का वर्णन किया गया है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.103, 10.134 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> अंगबाह्य श्रुत का सातवाँ प्रकीर्णक । इसमें मुनियों की गोचरी आदि वृत्तियों का वर्णन किया गया है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.103, 10.134 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
द्वादशांग ज्ञान के चौदह पूर्वों में से सातवां अंग बाह्य।–देखें श्रुतज्ञान - III।
पुराणकोष से
अंगबाह्य श्रुत का सातवाँ प्रकीर्णक । इसमें मुनियों की गोचरी आदि वृत्तियों का वर्णन किया गया है । हरिवंशपुराण 2.103, 10.134