दृष्टिवाद: Difference between revisions
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<p> बारहवाँ अंग । इसमें एक सौ आठ करोड़ अड़सठ लाख छप्पन हजार पाँच पदों द्वारा तीन सौ त्रेसठ दृष्टियों का विस्तार के साथ वर्णन किया गया है । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण 34.146, </span> </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.46 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> बारहवाँ अंग । इसमें एक सौ आठ करोड़ अड़सठ लाख छप्पन हजार पाँच पदों द्वारा तीन सौ त्रेसठ दृष्टियों का विस्तार के साथ वर्णन किया गया है । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण 34.146, </span> </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.46 </span></p> | ||
<p>इसके पाँच भेद होते है- परिकर्म, सूत्र, अनुयोग, पूर्वगत और चूलिका । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण 34.146, </span> </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.46 </span>, 61 देखें [[ अंग ]]</p> | <p>इसके पाँच भेद होते है- परिकर्म, सूत्र, अनुयोग, पूर्वगत और चूलिका । <span class="GRef"> <span class="GRef"> महापुराण 34.146, </span> </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 10.46 </span>, 61 देखें [[ अंग ]]</p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
बारहवाँ अंग । इसमें एक सौ आठ करोड़ अड़सठ लाख छप्पन हजार पाँच पदों द्वारा तीन सौ त्रेसठ दृष्टियों का विस्तार के साथ वर्णन किया गया है । महापुराण 34.146, हरिवंशपुराण 10.46
इसके पाँच भेद होते है- परिकर्म, सूत्र, अनुयोग, पूर्वगत और चूलिका । महापुराण 34.146, हरिवंशपुराण 10.46 , 61 देखें अंग