देवसेन: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<ol class="HindiText"> | <ol class="HindiText"> | ||
<li> पंचस्तूप संघ की गुर्वावली के अनुसार–देखें [[ इतिहास ]]। आप वीरसेन (धवलाकार) के शिष्य थे। समय–ई.820-870 ( | <li> पंचस्तूप संघ की गुर्वावली के अनुसार–देखें [[ इतिहास ]]। आप वीरसेन (धवलाकार) के शिष्य थे। समय–ई.820-870 ( महापुराण/ प्र./31पं.पन्नालाल)–देखें [[ इतिहास ]]/7/7। </li> | ||
<li> माथुर संघी आ0विमल गणों के शिष्य तथा अमितगति प्र0के गुरु। कृतियें–दर्शनसार, भावसंग्रह, आराधनासार, नयचक्र, आलापपद्धति, तत्त्वार्थसार, ज्ञानसार, धर्मसंग्रह, सावय धम्मदोहा। समय–वि.990-1012 (ई0933-955। दर्शनसार का रचनाकाल वि0990। (ती0/2/369)। (देखें [[ इतिहास ]]/7/11)। (जै0/2/369)। </li> | <li> माथुर संघी आ0विमल गणों के शिष्य तथा अमितगति प्र0के गुरु। कृतियें–दर्शनसार, भावसंग्रह, आराधनासार, नयचक्र, आलापपद्धति, तत्त्वार्थसार, ज्ञानसार, धर्मसंग्रह, सावय धम्मदोहा। समय–वि.990-1012 (ई0933-955। दर्शनसार का रचनाकाल वि0990। (ती0/2/369)। (देखें [[ इतिहास ]]/7/11)। (जै0/2/369)। </li> | ||
<li> पं0परमानन्द जी के अनुसार सुलोचना चरित्र के कर्ता देवसेन ही भावसंग्रह के कर्ता थे, देवसेन द्वि0नहीं। समय–वि01132-1192 (ई01075-1135)। (ती./2/368,4/151) 4. | <li> पं0परमानन्द जी के अनुसार सुलोचना चरित्र के कर्ता देवसेन ही भावसंग्रह के कर्ता थे, देवसेन द्वि0नहीं। समय–वि01132-1192 (ई01075-1135)। (ती./2/368,4/151) 4. हरिवंशपुराण/18/16 भोजकवृष्णि का पुत्र उग्रसेन का छोटा भाई था।</li> | ||
<li> वरांगचरित/सर्ग/श्लोक ललितपुर के राजा थे, तथा वरांग के मामा लगते थे (16/13)। वरांग की युद्ध में विजय देख उसके लिए अपना आधा राज्य व कन्या प्रदान की (19/30)। </li> | <li> वरांगचरित/सर्ग/श्लोक ललितपुर के राजा थे, तथा वरांग के मामा लगते थे (16/13)। वरांग की युद्ध में विजय देख उसके लिए अपना आधा राज्य व कन्या प्रदान की (19/30)। </li> | ||
</ol> | </ol> |
Revision as of 19:11, 17 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- पंचस्तूप संघ की गुर्वावली के अनुसार–देखें इतिहास । आप वीरसेन (धवलाकार) के शिष्य थे। समय–ई.820-870 ( महापुराण/ प्र./31पं.पन्नालाल)–देखें इतिहास /7/7।
- माथुर संघी आ0विमल गणों के शिष्य तथा अमितगति प्र0के गुरु। कृतियें–दर्शनसार, भावसंग्रह, आराधनासार, नयचक्र, आलापपद्धति, तत्त्वार्थसार, ज्ञानसार, धर्मसंग्रह, सावय धम्मदोहा। समय–वि.990-1012 (ई0933-955। दर्शनसार का रचनाकाल वि0990। (ती0/2/369)। (देखें इतिहास /7/11)। (जै0/2/369)।
- पं0परमानन्द जी के अनुसार सुलोचना चरित्र के कर्ता देवसेन ही भावसंग्रह के कर्ता थे, देवसेन द्वि0नहीं। समय–वि01132-1192 (ई01075-1135)। (ती./2/368,4/151) 4. हरिवंशपुराण/18/16 भोजकवृष्णि का पुत्र उग्रसेन का छोटा भाई था।
- वरांगचरित/सर्ग/श्लोक ललितपुर के राजा थे, तथा वरांग के मामा लगते थे (16/13)। वरांग की युद्ध में विजय देख उसके लिए अपना आधा राज्य व कन्या प्रदान की (19/30)।
पुराणकोष से
(1) राजा भोजकवृष्णि और पद्मावती रानी का कनिष्ठ पुत्र, उग्रसेन और महासेन का अनुज । हरिवंशपुराण 18-16
(2) राजा सत्यंधर के सेनापति विजयमति और उसकी रानी जयावती का पुत्र । महापुराण 75.256-259
(3) मृगावती देश में दशार्ण-नगर का नृप, देवकी का पिता । महापुराण 71. 292 पांडवपुराण 11. 55