द्रव्य निक्षेप: Difference between revisions
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<span class="GRef"> राजवार्तिक 1/5/3-4/28/21 </span><span class="SanskritText">यद् भाविपरिणामप्राप्ति प्रति योग्यतामादधानं तद् द्रव्यमित्युच्यते। ...अथवा अतद्भाव वा द्रव्यमित्युच्यते। यथेंद्रमानीतं काष्ठमिंद्रप्रतिमापर्यायप्राप्ति प्रत्यभिमुखम् इंद्र: इत्युच्यते।</span> =<span class="HindiText">आगामी पर्याय की योग्यतावाले उस पदार्थ को द्रव्य कहते हैं, जो उस समय उस पर्याय के अभिमुख हो, अथवा अतद्भाव को द्रव्य कहते हैं। जैसे–इंद्रप्रतिमा के लिए लाये गये काष्ठ को भी इंद्र कहना। (क्योंकि, जो अपने गुणों व पर्यायों को प्राप्त होता है, हुआ था और होगा उसको ही द्रव्य कहते हैं देखें [[ द्रव्य#1.1 | द्रव्य - 1.1]]) </span><br /> | |||
<span class="GRef"> पंचाध्यायी / पूर्वार्ध/743 </span><span class="SanskritText">ऋजुसूत्रनिरपेक्षतया, सापेक्ष भाविनैगमादिनयै:। छद्मस्थो जिनजीवो जिन इव मान्यो यथात्र तद्द्रव्यम् । </span>=<span class="HindiText">ऋजुसूत्रनय की अपेक्षा न करके और भाविनैगमादिक नयों की अपेक्षा से जो कहा जाता है, वह '''द्रव्य निक्षेप''' है। जैसे कि छद्मस्थ अवस्था में वर्तमान जिन भगवान् के जीव को जिन कहना।<br /> | |||
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Latest revision as of 13:41, 9 August 2023
राजवार्तिक 1/5/3-4/28/21 यद् भाविपरिणामप्राप्ति प्रति योग्यतामादधानं तद् द्रव्यमित्युच्यते। ...अथवा अतद्भाव वा द्रव्यमित्युच्यते। यथेंद्रमानीतं काष्ठमिंद्रप्रतिमापर्यायप्राप्ति प्रत्यभिमुखम् इंद्र: इत्युच्यते। =आगामी पर्याय की योग्यतावाले उस पदार्थ को द्रव्य कहते हैं, जो उस समय उस पर्याय के अभिमुख हो, अथवा अतद्भाव को द्रव्य कहते हैं। जैसे–इंद्रप्रतिमा के लिए लाये गये काष्ठ को भी इंद्र कहना। (क्योंकि, जो अपने गुणों व पर्यायों को प्राप्त होता है, हुआ था और होगा उसको ही द्रव्य कहते हैं देखें द्रव्य - 1.1)
पंचाध्यायी / पूर्वार्ध/743 ऋजुसूत्रनिरपेक्षतया, सापेक्ष भाविनैगमादिनयै:। छद्मस्थो जिनजीवो जिन इव मान्यो यथात्र तद्द्रव्यम् । =ऋजुसूत्रनय की अपेक्षा न करके और भाविनैगमादिक नयों की अपेक्षा से जो कहा जाता है, वह द्रव्य निक्षेप है। जैसे कि छद्मस्थ अवस्था में वर्तमान जिन भगवान् के जीव को जिन कहना।
अधिक जानकारी के लिये देखें निक्षेप - 5।