नलिनप्रभ: Difference between revisions
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―( | ―( महापुराण/57/ श्लोक नं.) पुष्करार्ध द्वीप के पूर्व विदेह में सुकच्छा देश का राजा था।2-3। सुपुत्र नामक पुत्र को राज्य दे दीक्षा धारण कर ली और ग्यारह अंगों का अध्ययन कर तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया। समाधिमरण पूर्वक देह त्यागकर सोलहवें अच्युत स्वर्ग में अचयुतेन्द्र हुआ।12-14। | ||
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Revision as of 19:11, 17 July 2020
== सिद्धांतकोष से == ―( महापुराण/57/ श्लोक नं.) पुष्करार्ध द्वीप के पूर्व विदेह में सुकच्छा देश का राजा था।2-3। सुपुत्र नामक पुत्र को राज्य दे दीक्षा धारण कर ली और ग्यारह अंगों का अध्ययन कर तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया। समाधिमरण पूर्वक देह त्यागकर सोलहवें अच्युत स्वर्ग में अचयुतेन्द्र हुआ।12-14।
पुराणकोष से
(1) आगामी सातवाँ कुलकर । महापुराण 76.464, हरिवंशपुराण 60.556
(2) पुष्करार्ध द्वीप सम्बन्धी पूर्व विदेह के सुकच्छ देश में सीता नदी के उतरी तट पर स्थित क्षेमपुर नगर का राजा । इसे सहस्राभ्रवन में अनन्त जिनेन्द्र से धर्मोपदेश सुनकर तत्त्वज्ञान हुआ अत: विरक्त होकर सुपुत्र नामक पुत्र को राज्य देकर यह संयमी हुआ । इसने तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध किया । आयु के अन्त में समाधिमरण पूर्वक देह त्याग करके यह सोलहवें स्वर्ग के पुष्पोत्तर विमान में अच्युतेन्द्र हुआ । महापुराण 57.2-3, 9.14