इंद्रक: Difference between revisions
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[[धवला]] पुस्तक संख्या १४/५,६,६४१/४९५/६ उडु आदोणि विमाणाणिंदियाणि णाम।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[धवला]] पुस्तक संख्या १४/५,६,६४१/४९५/६ उडु आदोणि विमाणाणिंदियाणि णाम।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= उडु आदिक विमान इन्द्रक कहलाते हैं।</p> | |||
<p class="SanskritPrakritSentence">[[द्रव्यसंग्रह]] / मूल या टीका गाथा संख्या ३५/११५ इन्द्रका अन्तभूमयः।</p> | |||
<p class="HindiSentence">= इन्द्रका अर्थ अन्तर्भूमि है।</p> | |||
[[तिलोयपण्णत्ति]] अधिकार संख्या २/३६ का विशेषार्थ “जो अपने पटलके सब बिलोंके बीचमें हो वह इन्द्रक बिल कहलाता है।''<br> | |||
([[धवला]] पुस्तक संख्या १४/५/६/४९५/८)।<br> | |||
ति.सा.४७६ भाषा “अपने-अपने पटलके बीचमें जो एक एक विमान पाईए तिनका नाम इन्द्रक विमान है।<br> | |||
<UL start=0 class="BulletedList"> <LI> स्वर्गके इन्द्रक विमानोंका प्रमाणादि - <b>देखे </b>[[स्वर्ग]] ५/३,५। </LI> | |||
<LI> नरकके इन्द्रक बिलोंका प्रमाणादि - <b>देखे </b>[[नरक]] ५/३। </LI> </UL> | |||
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Revision as of 02:49, 26 May 2009
धवला पुस्तक संख्या १४/५,६,६४१/४९५/६ उडु आदोणि विमाणाणिंदियाणि णाम।
= उडु आदिक विमान इन्द्रक कहलाते हैं।
द्रव्यसंग्रह / मूल या टीका गाथा संख्या ३५/११५ इन्द्रका अन्तभूमयः।
= इन्द्रका अर्थ अन्तर्भूमि है।
तिलोयपण्णत्ति अधिकार संख्या २/३६ का विशेषार्थ “जो अपने पटलके सब बिलोंके बीचमें हो वह इन्द्रक बिल कहलाता है।
(धवला पुस्तक संख्या १४/५/६/४९५/८)।
ति.सा.४७६ भाषा “अपने-अपने पटलके बीचमें जो एक एक विमान पाईए तिनका नाम इन्द्रक विमान है।