निक्षेपाधिकरण: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
देखें [[ अधिकरण ]]। | देखें [[ अधिकरण ]]। | ||
Line 12: | Line 13: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> अजीवाधिकरण आस्रव के भेदों में एक भेद । यह चार प्रकार का होता है― सहसानिक्षेपाधिकरण, दुष्प्रमृष्टनिक्षेपाधिकरण, अनाभोगनिक्षेपाधिकरण और अप्रत्यवेक्षितनिक्षेपाधिकरण । इनमें शीघ्रता से किसी वस्तु को रख देना सहसानिक्षेप, दुष्टतापूर्वक साफ की हुई भूमि में किसी वस्तु को रखना दुष्प्रमृष्टनिक्षेप, अव्यवस्था के साथ चाहे जहाँ किसी वस्तु को रख देना अनाभागनिक्षेप और बिना देखी-शोधी भूमि में किसी वस्तु को रख देना अप्रत्यवेक्षितनिक्षेप है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.84-88 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> अजीवाधिकरण आस्रव के भेदों में एक भेद । यह चार प्रकार का होता है― सहसानिक्षेपाधिकरण, दुष्प्रमृष्टनिक्षेपाधिकरण, अनाभोगनिक्षेपाधिकरण और अप्रत्यवेक्षितनिक्षेपाधिकरण । इनमें शीघ्रता से किसी वस्तु को रख देना सहसानिक्षेप, दुष्टतापूर्वक साफ की हुई भूमि में किसी वस्तु को रखना दुष्प्रमृष्टनिक्षेप, अव्यवस्था के साथ चाहे जहाँ किसी वस्तु को रख देना अनाभागनिक्षेप और बिना देखी-शोधी भूमि में किसी वस्तु को रख देना अप्रत्यवेक्षितनिक्षेप है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.84-88 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:54, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
देखें अधिकरण ।
पुराणकोष से
अजीवाधिकरण आस्रव के भेदों में एक भेद । यह चार प्रकार का होता है― सहसानिक्षेपाधिकरण, दुष्प्रमृष्टनिक्षेपाधिकरण, अनाभोगनिक्षेपाधिकरण और अप्रत्यवेक्षितनिक्षेपाधिकरण । इनमें शीघ्रता से किसी वस्तु को रख देना सहसानिक्षेप, दुष्टतापूर्वक साफ की हुई भूमि में किसी वस्तु को रखना दुष्प्रमृष्टनिक्षेप, अव्यवस्था के साथ चाहे जहाँ किसी वस्तु को रख देना अनाभागनिक्षेप और बिना देखी-शोधी भूमि में किसी वस्तु को रख देना अप्रत्यवेक्षितनिक्षेप है । हरिवंशपुराण 58.84-88