परिव्राजक: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) काषायवस्त्रधारी साधु । ऐसा साधु संसार के कारण स्वरूप परिग्रह को त्याग कर मुक्तिमार्ग का पथिक हो जाता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 3. 293, 109.86, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21. 134 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) काषायवस्त्रधारी साधु । ऐसा साधु संसार के कारण स्वरूप परिग्रह को त्याग कर मुक्तिमार्ग का पथिक हो जाता है । <span class="GRef"> पद्मपुराण 3. 293, 109.86, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21. 134 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक मत । इसे मरीचि ने चलाया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 85.44 </span></p> | <p id="2">(2) एक मत । इसे मरीचि ने चलाया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 85.44 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
(1) काषायवस्त्रधारी साधु । ऐसा साधु संसार के कारण स्वरूप परिग्रह को त्याग कर मुक्तिमार्ग का पथिक हो जाता है । पद्मपुराण 3. 293, 109.86, हरिवंशपुराण 21. 134
(2) एक मत । इसे मरीचि ने चलाया था । पद्मपुराण 85.44