पुष्पांजली व्रत: Difference between revisions
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इस व्रत की विधि तीन प्रकार से वर्णन की गयी है - उत्तम, मध्यम व जघन्य। पाँच वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्र में शुक्लपक्ष की - उत्तम - 5-9 तक लगातार पाँच उपवास। मध्यम - 5,7,9 को उपवास तथा 6, 8 को एकाशन। जघन्य - 5, 9 को उपवास तथा 6-8 तक एकाशन ‘ओं ह्रीं पंचमेरुस्थ अस्सी जिनालयेभ्यो नमः’ इस | इस व्रत की विधि तीन प्रकार से वर्णन की गयी है - उत्तम, मध्यम व जघन्य। पाँच वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्र में शुक्लपक्ष की - उत्तम - 5-9 तक लगातार पाँच उपवास। मध्यम - 5,7,9 को उपवास तथा 6, 8 को एकाशन। जघन्य - 5, 9 को उपवास तथा 6-8 तक एकाशन ‘ओं ह्रीं पंचमेरुस्थ अस्सी जिनालयेभ्यो नमः’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत विधान सं./पृ.41), (क्रियाकोष)। | ||
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Revision as of 16:28, 19 August 2020
इस व्रत की विधि तीन प्रकार से वर्णन की गयी है - उत्तम, मध्यम व जघन्य। पाँच वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्र में शुक्लपक्ष की - उत्तम - 5-9 तक लगातार पाँच उपवास। मध्यम - 5,7,9 को उपवास तथा 6, 8 को एकाशन। जघन्य - 5, 9 को उपवास तथा 6-8 तक एकाशन ‘ओं ह्रीं पंचमेरुस्थ अस्सी जिनालयेभ्यो नमः’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत विधान सं./पृ.41), (क्रियाकोष)।