प्रज्ञा: Difference between revisions
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<p> एक परीषह । ज्ञान का उत्कर्ष सर्वज्ञ होने तक है, इसके पूर्व ज्ञान बढ़ता रहता है, ऐसा | <p> एक परीषह । ज्ञान का उत्कर्ष सर्वज्ञ होने तक है, इसके पूर्व ज्ञान बढ़ता रहता है, ऐसा चिंतन करते हुए अपने विशेष ज्ञान का अभिमान न करना इस परीषह का ध्येय है । <span class="GRef"> महापुराण 36.125 </span></p> | ||
Revision as of 16:28, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == प्रज्ञा व ज्ञान में अंतर - देखें ऋद्धि - 2.7 ।
पुराणकोष से
एक परीषह । ज्ञान का उत्कर्ष सर्वज्ञ होने तक है, इसके पूर्व ज्ञान बढ़ता रहता है, ऐसा चिंतन करते हुए अपने विशेष ज्ञान का अभिमान न करना इस परीषह का ध्येय है । महापुराण 36.125