प्रतिमा: Difference between revisions
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<p id="2">(2) श्रावक की ग्यारह श्रेणियां । ये हैं― दर्शन प्रतिमा, व्रत प्रतिमा, सामायिक प्रतिमा, प्रोषधोपवास प्रतिमा, सचित्तत्याग प्रतिमा, रात्रिभुक्तित्याग प्रतिमा, ब्रह्मचर्य प्रतिमा, | <p id="2">(2) श्रावक की ग्यारह श्रेणियां । ये हैं― दर्शन प्रतिमा, व्रत प्रतिमा, सामायिक प्रतिमा, प्रोषधोपवास प्रतिमा, सचित्तत्याग प्रतिमा, रात्रिभुक्तित्याग प्रतिमा, ब्रह्मचर्य प्रतिमा, आरंभत्याग प्रतिमा, परिग्रहत्याग प्रतिमा, अनुमतित्याग प्रतिमा और उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 18-36-72 </span></p> | ||
Revision as of 16:28, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- मूर्ति रूप प्रतिमा - देखें चैत्य चैत्यालय ।
- सल्लेखना गत साधु की 12 प्रतिमाएँ- देखें सल्लेखना - 4.11.2 ।
- श्रावक की 11 प्रतिमाएँ - देखें श्रावक - 1।
पुराणकोष से
(1) मूर्ति । इनका निर्माण चक्रवर्ती भरत के समय में ही आरंभ हो गया था । स्वयं भरत ने कैलाश पर्वत पर सर्वरत्नमय दिव्य मंदिर बनवाकर उसमें पाँच सौ धनुष ऊँची जिनेश की प्रतिमा स्थापित करायी थी । पद्मपुराण 52. 1-5, 98-63-65
(2) श्रावक की ग्यारह श्रेणियां । ये हैं― दर्शन प्रतिमा, व्रत प्रतिमा, सामायिक प्रतिमा, प्रोषधोपवास प्रतिमा, सचित्तत्याग प्रतिमा, रात्रिभुक्तित्याग प्रतिमा, ब्रह्मचर्य प्रतिमा, आरंभत्याग प्रतिमा, परिग्रहत्याग प्रतिमा, अनुमतित्याग प्रतिमा और उद्दिष्ट त्याग प्रतिमा । वीरवर्द्धमान चरित्र 18-36-72