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<p id="1">(1) | <p id="1">(1) जंबूद्वीप के पूर्व विदेह क्षेत्र में स्थित विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के गंधर्वपुर नगर के राजा विद्याघर बासव की रानी । यह महीधर की जननी थी । इसने पद्मावती आर्यिका से रत्नावली तप धारण किया था तथा मरकर यह अच्युतेंद्र स्वर्ग में प्रतींद्र हुई थी । <span class="GRef"> महापुराण 7.30, 29,32 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित भोगपुर नगर के राजा वायुरथ की रानी, स्वयंप्रभा की पुत्री । <span class="GRef"> महापुराण 46.147-148, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 32.13 </span></p> | <p id="2">(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित भोगपुर नगर के राजा वायुरथ की रानी, स्वयंप्रभा की पुत्री । <span class="GRef"> महापुराण 46.147-148, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 32.13 </span></p> | ||
<p id="3">(3) इस नाम की विद्या । इसे अर्ककीर्ति के पुत्र अमिततेज ने अन्य कई विद्याओं के साथ सिद्ध किया था । <span class="GRef"> महापुराण 62.395 </span></p> | <p id="3">(3) इस नाम की विद्या । इसे अर्ककीर्ति के पुत्र अमिततेज ने अन्य कई विद्याओं के साथ सिद्ध किया था । <span class="GRef"> महापुराण 62.395 </span></p> | ||
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<p id="6">(6) रावण की भार्या । <span class="GRef"> पद्मपुराण 88. 9-15 </span></p> | <p id="6">(6) रावण की भार्या । <span class="GRef"> पद्मपुराण 88. 9-15 </span></p> | ||
<p id="7">(7) राम की महादेवी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 94.24-25 </span></p> | <p id="7">(7) राम की महादेवी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 94.24-25 </span></p> | ||
<p id="8">(8) | <p id="8">(8) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहस्थ वत्सकावती देश की नगरी । <span class="GRef"> पांडवपुराण 4. 246-247 </span></p> | ||
<p id="9">(9) तीर्थंकर मुनिसुव्रत की रानी । इसी रानी से उत्पन्न सुव्रत नामक पुत्र को राज्य देकर मुनिसुव्रत ने संयम धारण किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 16.55 </span></p> | <p id="9">(9) तीर्थंकर मुनिसुव्रत की रानी । इसी रानी से उत्पन्न सुव्रत नामक पुत्र को राज्य देकर मुनिसुव्रत ने संयम धारण किया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 16.55 </span></p> | ||
<p id="10">(10) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के | <p id="10">(10) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के गांधार देश में स्थित गग्धसमृद्धनगर के राजा गांधार और उनकी रानी पृथिवी की पुत्री । यह वसुदेव की रानी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.86, 30. 6-7, 32.23 </span></p> | ||
<p id="11">(11) राजा समुद्रविजय के छोटे भाई धारण की रानी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.2-5 </span></p> | <p id="11">(11) राजा समुद्रविजय के छोटे भाई धारण की रानी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.2-5 </span></p> | ||
<p id="12">(12) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के किन्नरोद्गीतनगर के राजा अर्चिमाली की रानी । यह ज्वलनवेग और अशनिवेग पुत्रों की जननी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.80-81 </span></p> | <p id="12">(12) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के किन्नरोद्गीतनगर के राजा अर्चिमाली की रानी । यह ज्वलनवेग और अशनिवेग पुत्रों की जननी थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.80-81 </span></p> |
Revision as of 16:28, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == पूर्वविदेहस्थ वत्सकावती देशकी मुख्य नगरी । देखें लोक - 7.28
पुराणकोष से
(1) जंबूद्वीप के पूर्व विदेह क्षेत्र में स्थित विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के गंधर्वपुर नगर के राजा विद्याघर बासव की रानी । यह महीधर की जननी थी । इसने पद्मावती आर्यिका से रत्नावली तप धारण किया था तथा मरकर यह अच्युतेंद्र स्वर्ग में प्रतींद्र हुई थी । महापुराण 7.30, 29,32
(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित भोगपुर नगर के राजा वायुरथ की रानी, स्वयंप्रभा की पुत्री । महापुराण 46.147-148, पांडवपुराण 32.13
(3) इस नाम की विद्या । इसे अर्ककीर्ति के पुत्र अमिततेज ने अन्य कई विद्याओं के साथ सिद्ध किया था । महापुराण 62.395
(4) वैशाली गणराज्य के शासक चेटक और उसकी रानी सुभद्रा की चौथी पुत्री । महापुराण 75.3-6, 11-12
(5) आठवें नारायण लक्ष्मण की पटरानी । पद्मपुराण 20.228
(6) रावण की भार्या । पद्मपुराण 88. 9-15
(7) राम की महादेवी । पद्मपुराण 94.24-25
(8) जंबूद्वीप के पूर्व विदेहस्थ वत्सकावती देश की नगरी । पांडवपुराण 4. 246-247
(9) तीर्थंकर मुनिसुव्रत की रानी । इसी रानी से उत्पन्न सुव्रत नामक पुत्र को राज्य देकर मुनिसुव्रत ने संयम धारण किया था । हरिवंशपुराण 16.55
(10) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के गांधार देश में स्थित गग्धसमृद्धनगर के राजा गांधार और उनकी रानी पृथिवी की पुत्री । यह वसुदेव की रानी थी । हरिवंशपुराण 1.86, 30. 6-7, 32.23
(11) राजा समुद्रविजय के छोटे भाई धारण की रानी । हरिवंशपुराण 19.2-5
(12) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी के किन्नरोद्गीतनगर के राजा अर्चिमाली की रानी । यह ज्वलनवेग और अशनिवेग पुत्रों की जननी थी । हरिवंशपुराण 19.80-81
(13) कौशिक नगर के राजा वर्ण की भार्या । हरिवंशपुराण 45.61-62
(14) जयकुमार के पूर्वभव की भार्या । हरिवंशपुराण 12.11-14