प्राणावायपूर्व: Difference between revisions
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<p> तेरह करोड़ पदों से युक्त बारहवाँ पूर्व । इसमें कायचिकित्सा आदि आठ प्रकार के आयुर्वेद का तथा प्राण अपान आदि विभागों का और उनकी पार्थिवी आदि धारणाओं का वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.99, 10.118-119 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> तेरह करोड़ पदों से युक्त बारहवाँ पूर्व । इसमें कायचिकित्सा आदि आठ प्रकार के आयुर्वेद का तथा प्राण अपान आदि विभागों का और उनकी पार्थिवी आदि धारणाओं का वर्णन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 2.99, 10.118-119 </span></p> | ||
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Revision as of 16:55, 14 November 2020
तेरह करोड़ पदों से युक्त बारहवाँ पूर्व । इसमें कायचिकित्सा आदि आठ प्रकार के आयुर्वेद का तथा प्राण अपान आदि विभागों का और उनकी पार्थिवी आदि धारणाओं का वर्णन है । हरिवंशपुराण 2.99, 10.118-119