मानव: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) एक विद्या-निकाय । | <p id="1"> (1) एक विद्या-निकाय । धरणेंद्र की अदिति देवी ने यह निकाय नमि और विनमि को दिया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.54-58 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का | <p id="2">(2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का पंद्रहवाँ नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22. 95 </span></p> | ||
<p id="3">(3) विजयपर्वत की उत्तरश्रेणी का छब्बीसवाँ नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22. 88 </span></p> | <p id="3">(3) विजयपर्वत की उत्तरश्रेणी का छब्बीसवाँ नगर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22. 88 </span></p> | ||
Revision as of 16:32, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- एक ग्रह–देखें ग्रह ।
- विजयार्ध की उत्तरश्रेणी का एक नगर–देखें विद्याधर ।
- चक्रवर्ती की नवनिधियों में से एक–देखें शलाकापुरुष - 2।
- जीव को मानव कहने की विवक्षा–देखें जीव - 1.3.5।
पुराणकोष से
(1) एक विद्या-निकाय । धरणेंद्र की अदिति देवी ने यह निकाय नमि और विनमि को दिया था । हरिवंशपुराण 22.54-58
(2) विजयार्ध पर्वत की दक्षिणश्रेणी का पंद्रहवाँ नगर । हरिवंशपुराण 22. 95
(3) विजयपर्वत की उत्तरश्रेणी का छब्बीसवाँ नगर । हरिवंशपुराण 22. 88