योगी: Difference between revisions
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नयचक्र बृहद्/388 <span class="PrakritGatha"> णिज्जियसासो णिफ्फंदलोयणो मुक्कसयलवावारो । जो एहावत्थगओ सो जोई णत्थि संदेहो ।388। </span>= <span class="HindiText">जिसने श्वास को जीत लिया है, जिसके नेत्र टिमकार रहित हैं, जो काय के समस्त व्यापार से रहित है, ऐसी अवस्था को जो प्राप्त हो गया है, वह निस्संदेह योगी है । </span><br /> | |||
ज्ञानसार/4 <span class="SanskritGatha"> कंदर्पदर्पदलनो दम्भविहीनो विमुक्तव्यापारः । उग्रतपो दीप्तगात्रः योगी विज्ञेयः परमार्थः ।4 । </span>=<span class="HindiText"> कन्दर्प और दर्प का जिसने दलन किया है, दम्भ से जो रहित है, जो काय के व्यापार से रहित है, जिसका शरीर उग्रतप से दीप्त हो रहा है, उसी को परमार्थ से योगी जानना चाहिए/4 । <br /> | |||
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<li><span class="HindiText"><strong name="2" id="2"> योगी के भेद व उनके लक्षण</strong> </span><br /> | <li><span class="HindiText"><strong name="2" id="2"> योगी के भेद व उनके लक्षण</strong> </span><br /> |
Revision as of 19:14, 17 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- योगी
नयचक्र बृहद्/388 णिज्जियसासो णिफ्फंदलोयणो मुक्कसयलवावारो । जो एहावत्थगओ सो जोई णत्थि संदेहो ।388। = जिसने श्वास को जीत लिया है, जिसके नेत्र टिमकार रहित हैं, जो काय के समस्त व्यापार से रहित है, ऐसी अवस्था को जो प्राप्त हो गया है, वह निस्संदेह योगी है ।
ज्ञानसार/4 कंदर्पदर्पदलनो दम्भविहीनो विमुक्तव्यापारः । उग्रतपो दीप्तगात्रः योगी विज्ञेयः परमार्थः ।4 । = कन्दर्प और दर्प का जिसने दलन किया है, दम्भ से जो रहित है, जो काय के व्यापार से रहित है, जिसका शरीर उग्रतप से दीप्त हो रहा है, उसी को परमार्थ से योगी जानना चाहिए/4 ।
- योगी के भेद व उनके लक्षण
षं. का./ता. वृ/173/254/3 द्विधा ध्यातारो भवन्ति शुद्धात्मभावना प्रारम्भकाः पुरुषाः सूक्ष्मसविकल्पावस्थायां प्रारब्धयोगिनो भण्यन्ते निर्विकल्पशुद्धात्मावस्थायां पुनर्निष्पन्नयोगिन इति । = दो प्रकार के ध्याता होते हैं । शुद्धात्म भावना के प्रारम्भक और सूक्ष्म सविकल्प अवस्था में जो स्थित हैं, ऐसे पुरुषों को प्रारब्धयोगी कहते हैं और निर्विकल्प अवस्था में स्थित पुरुष को निष्पन्नयोगी कहते हैं ।
- जीव को योगी कहने की विवक्षा−देखें जीव - 1.3 ।
पुराणकोष से
भरतेश एवं सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 24.37, 25.107