यंत्र: Difference between revisions
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<p>ध. 13/5,3,29/34/4<span class="PrakritText"> सीहवग्घधरणट्ठमोद्दिदमब्भंतरकयच्छालियं जंतं णाम।</span>–<span class="HindiText">जो सिंह और व्याघ्र आदि के धरने के लिए बनाया जाता है और जिसके भीतर बकरा रखा जाता है, उसे यंत्र कहते हैं।<br /> | <p>ध. 13/5,3,29/34/4<span class="PrakritText"> सीहवग्घधरणट्ठमोद्दिदमब्भंतरकयच्छालियं जंतं णाम।</span>–<span class="HindiText">जो सिंह और व्याघ्र आदि के धरने के लिए बनाया जाता है और जिसके भीतर बकरा रखा जाता है, उसे यंत्र कहते हैं।<br /> | ||
<strong>यंत्र—</strong>कुछ विशिष्ट प्रकार के अक्षर, शब्द च मन्त्र रचना जो कोष्ठक आदि बनाकर उनमें चित्रित किये जाते हैं, यन्त्र कहलाते हैं। मन्त्र शास्त्र के अनुसार इसमें कुछ अलौकिक शक्ति मानी गयी है, और इसीलिए जैन सम्प्रदाय में इसे पूजा व विनय का विशेष स्थान प्राप्त है। मन्त्र सिद्धि, पूजा, प्रतिष्ठा व यज्ञ विधान आदिकों में इनका बहुलता से प्रयोग किया जाता है। प्रयोजन के अनुसार अनेक यन्त्र रूढ़ हैं और बनाये जा सकते हैं, जिनमें से प्राय: प्रयोग में आने वाले कुछ प्रसिद्ध यन्त्र | <strong>यंत्र—</strong>कुछ विशिष्ट प्रकार के अक्षर, शब्द च मन्त्र रचना जो कोष्ठक आदि बनाकर उनमें चित्रित किये जाते हैं, यन्त्र कहलाते हैं। मन्त्र शास्त्र के अनुसार इसमें कुछ अलौकिक शक्ति मानी गयी है, और इसीलिए जैन सम्प्रदाय में इसे पूजा व विनय का विशेष स्थान प्राप्त है। मन्त्र सिद्धि, पूजा, प्रतिष्ठा व यज्ञ विधान आदिकों में इनका बहुलता से प्रयोग किया जाता है। प्रयोजन के अनुसार अनेक यन्त्र रूढ़ हैं और बनाये जा सकते हैं, जिनमें से प्राय: प्रयोग में आने वाले कुछ प्रसिद्ध यन्त्र यहाँ दिये जाते हैं।<br /> | ||
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Revision as of 13:51, 10 July 2020
ध. 13/5,3,29/34/4 सीहवग्घधरणट्ठमोद्दिदमब्भंतरकयच्छालियं जंतं णाम।–जो सिंह और व्याघ्र आदि के धरने के लिए बनाया जाता है और जिसके भीतर बकरा रखा जाता है, उसे यंत्र कहते हैं।
यंत्र—कुछ विशिष्ट प्रकार के अक्षर, शब्द च मन्त्र रचना जो कोष्ठक आदि बनाकर उनमें चित्रित किये जाते हैं, यन्त्र कहलाते हैं। मन्त्र शास्त्र के अनुसार इसमें कुछ अलौकिक शक्ति मानी गयी है, और इसीलिए जैन सम्प्रदाय में इसे पूजा व विनय का विशेष स्थान प्राप्त है। मन्त्र सिद्धि, पूजा, प्रतिष्ठा व यज्ञ विधान आदिकों में इनका बहुलता से प्रयोग किया जाता है। प्रयोजन के अनुसार अनेक यन्त्र रूढ़ हैं और बनाये जा सकते हैं, जिनमें से प्राय: प्रयोग में आने वाले कुछ प्रसिद्ध यन्त्र यहाँ दिये जाते हैं।
- अंकुरार्पण यन्त्र
- अग्नि मण्डल यन्त्र
- अर्हन् मण्डल यन्त्र
- ऋषि मण्डल यन्त्र
- कर्म दहन यन्त्र
- कलिकुण्ड दण्ड यन्त्र
- कल्याण त्रैलोक्यसार यन्त्र
- कुल यन्त्र
- कूर्म चक्र यन्त्र
- गन्ध यन्त्र
- गणधरवलय यन्त्र
- घटस्थानोपयोगी यन्त्र
- चिन्तामणि यन्त्र
- चौबीसी मण्डल यन्त्र
- जल मण्डल यन्त्र
- जलाधिवासन यन्त्र
- णमोकार यन्त्र
- दशलाक्षणिक धर्मचक्रोद्धार यन्त्र
- नयनोन्मीलन यन्त्र
- निर्वाण सम्पत्ति यन्त्र
- पीठ यन्त्र
- पूजा यन्त्र
- बोधिसमाधि यन्त्र
- मातृका यन्त्र (क) व (ख)
- मृत्तिकानयन यन्त्र
- मृत्युञ्जय यन्त्र
- मोक्षमार्ग यन्त्र
- यन्त्रेश यन्त्र
- रत्नत्रय चक्र यन्त्र
- रत्नत्रय विधान यन्त्र
- रुक्मपात्राङ्कित तीर्थमण्डल यन्त्र
- रुक्मपात्राङ्कित वरुणमण्डल यन्त्र
- रुक्मपात्राङ्कित वज्रमण्डल यन्त्र
- वर्द्धमान यन्त्र
- वश्य यन्त्र
- विनायक यन्त्र
- शान्ति यन्त्र
- शान्ति चक्र यन्त्रोद्धार
- शान्ति विधान यन्त्र
- षोडशकारण धर्मचक्रोद्धार यन्त्र
- सरस्वती यन्त्र
- सर्वतोभद्र यन्त्र (लघु)
- सर्वतोभद्र यन्त्र (वृहत्)
- सारस्वत यन्त्र
- सिद्धचक्र यन्त्र (लघु)
- सिद्धचक्र यन्त्र (बृहत्)
- सुरेन्द्रचक्र यन्त्र
- स्तम्भन यन्त्र
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