रत्नत्रय व्रत: Difference between revisions
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प्रत्येक वर्ष तीन बार-भादों, माघ व चैत्र मास में आता है । शुक्ला द्वादशी को दोपहर के भोजन के पश्चात् धारणा । 13, 14 व 15 को उपवास करे । कृष्ण 1 को दोपहर को पारणा करे । इन दिनों में पूर्ण ब्रह्मचर्य से रहे । ‘ओं ह्रीं सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्रेभ्यो नमः’ इस | प्रत्येक वर्ष तीन बार-भादों, माघ व चैत्र मास में आता है । शुक्ला द्वादशी को दोपहर के भोजन के पश्चात् धारणा । 13, 14 व 15 को उपवास करे । कृष्ण 1 को दोपहर को पारणा करे । इन दिनों में पूर्ण ब्रह्मचर्य से रहे । ‘ओं ह्रीं सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्रेभ्यो नमः’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे । (व्रत - विधान सं./पृ. 40)। | ||
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Revision as of 16:33, 19 August 2020
प्रत्येक वर्ष तीन बार-भादों, माघ व चैत्र मास में आता है । शुक्ला द्वादशी को दोपहर के भोजन के पश्चात् धारणा । 13, 14 व 15 को उपवास करे । कृष्ण 1 को दोपहर को पारणा करे । इन दिनों में पूर्ण ब्रह्मचर्य से रहे । ‘ओं ह्रीं सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्रेभ्यो नमः’ इस मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे । (व्रत - विधान सं./पृ. 40)।