इतिहास: Difference between revisions
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Revision as of 08:40, 19 April 2009
किसी भी जाति या संस्कृतिका विशेष परिचय पानेके लिए तत्सम्बन्धी साहित्य ही एक मात्र आधार है और उसकी प्रामाणिकता उसके रचयिता व प्राचीनतापर निर्भर है। अतः जैन संस्कृति का परिचय पानेके लिए हमें जैन साहित्य व उनके रचयिताओंके काल आदिका अनुशीलन करना चाहिए। परन्तु यह कार्य आसान नहीं है, क्योंकि ख्यातिलाभकी भावनाओंसे अतीत वीतरागीजन प्रायः अपने नाम, गाँव व कालका परिचय नहीं दिया करते। फिर भी उनकी कथन शैली पर से अथवा अन्यत्र पाये जानेवाले उन सम्बन्धी उल्लेखों परसे, अथवा उनकी रचनामें ग्रहण किये गये अन्य शास्त्रोंके उद्धरणों परसे, अथवा उनके द्वारा गुरुजनोंके स्मरण रूप अभिप्रायसे लिखी गयी प्रशस्तियों परसे, अथवा आगममें ही उपलब्ध दो-चार पट्टावलियों परसे, अथवा भूगर्भसे प्राप्त किन्हीं शिलालेखों या आयागपट्टोंमें उल्लखित उनके नामों परसे इस विषय सम्बन्धी कुछ अनुमान होता है। अनेकों विद्वानोंने इस दिशामें खोज की है, जो ग्रन्थोंमें दी गयी उनकी प्रस्तावनाओंसे विदित है। उन प्रस्तावनाओंमें से लेकर ही मैंने भी यहाँ कुछ विशेष-विशेष आचार्यों व तत्कालीन प्रसिद्ध राजाओं आदिका परिचय संकलित किया है। यह विषय बड़ा विस्तृत है। यदि इसकी गहराइयोंमें घुसकर देखा जाये तो एकके पश्चात् एक करके अनेकों शाखाएँ तथा प्रतिशाखाएँ मिलती रहनेके कारण इसका अन्त पाना कठिन प्रतीत होता है, अथवा इस विषय सम्बन्धी एक पृथक् ही कोष बनाया जा सकता है। परन्तु फिर भी कुछ प्रसिद्ध व नित्य परिचय में आनेवाले ग्रन्थों व आचार्योंका उल्लेख किया जाना आवश्यक समझकर यहाँ कुछ मात्रका संकलन किया है। विशेष जानकारीके लिए अन्य उपयोगी साहित्य देखनेकी आवश्यकता है।
१. इतिहास निर्देश व लक्षण
1. इतिहासका लक्षण
2. ऐतिह्य प्रमाणका श्रुतज्ञानमें अन्तर्भाव
1. संवत्सर सामान्य व उसके भेद।
2. वीर निर्वाण संवत्।
3. विक्रम संवत्।
4. शक संवत्।
5. शालिवाहन संवत्।
6. ईसवी संवत्।
7. गुप्त संवत्।
8. हिजरी संवत्।
9. मघा संवत्।
10. सब संवतोंका परस्पर सम्बन्ध।
३. ऐतिहासिक राज्य वंश
1. भोज वंश।
2. कुरु वंश।
3. मगध देशके राज्य वंश (१. सामान्य; २. कल्की; ३. हून; ४. काल निर्णय)
4. राष्ट्रकूट वंश।
४. दिगम्बर मूलसंघ
1. मूल संघ।
2. मूल संघकी पट्टावली।
3. पट्टावलीका समन्वय।
4. मूलसंघ का विघटन।
5. श्रुत तीर्थकी उत्पत्ति।
6. श्रुतज्ञानका क्रमिक ह्रास।
५. दिगम्बर जैन संघ
1. सामान्य परिचय।
2. नन्दिसंघ।
3. अन्य संघ।
६. दिगम्बर जैनाभासी संघ
1. सामान्य परिचय।
2. यापनीय संघ।
3. द्राविड़ संघ।
4. काष्ठा संघ।
5. माथुर संघ।
6. भिल्लक संघ।
7. अन्य संघ तथा शाखायें।
७. पट्टावलियें तथा गुर्वावलियें।
1. मूल संघ विभाजन।
2. नन्दिसंघ बलात्कार गण।
3. नन्दिसंघ बलात्कार गणकी भट्टारक आम्नाय।
4. नन्दिसंघबलात्कार गणकी शुभचन्द्र आम्नाय।
5. नन्दिसंघ देशीयगण।
6. सेन या ऋषभ संघ।
7. पंचस्तूप संघ।
8. पुन्नाट संघ।
9. काष्ठा संघ।
10. लाड़ बागड़ गच्छ
११. माथुर गच्छ।
८. आचार्य समयानुक्रमणिका
९. पौराणिक राज्य वंश
1. सामान्य वंश।
2. इक्ष्वाकु वंश।
3. उग्र वंश।
4. ऋषि वंश।
5. कुरुवंश।
6. चन्द्र वंश।
7. नाथ वंश।
8. भोज वंश।
9. मातङ्ग वंश।
10. यादव वंश।
11. रघुवंश।
12. राक्षस वंश।
13. वानर वंश।
14. विद्याधर वंश।
15. श्रीवंश।
16. सूर्य वंश।
17. सोम वंश।
18. हरिवंश।
१०. आगम समयानुक्रमणिका
· परिशिष्ट
१. संवत्; २. मूलसंघ; ३. गुणधर आम्नाय; ४. नन्दिसंघ